Bengal SIR: क्या बंगाल में 1 करोड़ रोहिंग्या और बांग्लादेशी रहते हैं? ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से बड़ा खुलासा
Bengal SIR: चुनाव आयोग (EC) के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत पश्चिम बंगाल के लिए जारी नए ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल राजनीतिक टकराव का एक नया मुद्दा बन गया है। सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इस ड्राफ्ट वोटर लिस्ट का इस्तेमाल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पहले के दावे को गलत साबित करने के लिए किया है। भगवा पार्टी ने दावा किया था कि राज्य में एक करोड़ रोहिंग्या और बांग्लादेशी धोखे से वोटर के तौर पर लिस्टेड हैं। फर्जी मतदाताओं के तौर पर चिह्नित लोगों की संख्या 1,83,328 बताई गई है।राज्य में 2026 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। इससे पहले जारी किए गए ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल में मौत और परमानेंट माइग्रेशन से लेकर डुप्लीकेशन और फॉर्म जमा न करने जैसे कारणों से हटाए गए नामों का डिटेल्स दिया गया है। हालांकि SIR के बाद 58 लाख से अधिक नाम हटा दिए गए हैं। लेकिन चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि फर्जी मतदाताओं की संख्या बीजेपी नेता के बार-बार किए गए दावों से काफी कम है।
बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने इससे पहले आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासी मौजूद हैं। उन्होंने अतीत में चुनावी परिणामों को प्रभावित किया है। उन्होंने चुनाव आयोग से ऐसे मतदाताओं के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का आग्रह किया था।
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वोटर लिस्ट के फॉर्मेट में एक करोड़ अवैध मतदाताओं के दावे का कोई संख्यात्मक आधार नहीं दिखा है। अधिकारियों ने बताया कि 1.83 लाख फर्जी मतदाताओं का आंकड़ा क्षेत्रीय सत्यापन के बाद एसआईआर प्रक्रिया के दौरान चिह्नित किए गए मामलों को दर्शाता है। तृणमूल ने इन्हीं आंकड़ों के आधार पर तीखा पलटवार किया।
टीएमसी ने राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता पर “गलत सूचना“ फैलाने का आरोप लगाया। तृणमूल के प्रवक्ता कृषानु मित्रा ने कहा, “मसौदा मतदाता सूचियों में लगभग 58 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं। बीएसएफ के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 4,000 लोग हकीमपुर सीमा के रास्ते बांग्लादेश वापस चले गए हैं। हमें जो जानकारी मिल रही है। उसके अनुसार लगभग 80 प्रतिशत मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में नाम हटाने की औसत दर 0.6 प्रतिशत है। जबकि मतुआ बहुल क्षेत्रों में यह दर लगभग 9 प्रतिशत है।“
उन्होंने सवाल किया, “राज्य में नाम हटाने की दर लगभग चार प्रतिशत है। यदि मौत के मामलों को हटा दिया जाए, तो शेष हटाए गए मतदाता कौन हैं? वे किन सीमाओं से राज्य छोड़कर गए?“ पार्टी का कहना है कि पश्चिम बंगाल में कोई रोहिंग्या मतदाता नहीं हैं। उसने आरोप लगाया है कि चुनावों से पहले बड़े पैमाने पर घुसपैठ की कहानी राजनीतिक रूप से गढ़ी जा रही है।
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इस बीच BJP ने इन आरोपों को खारिज किया और पार्टी नेता शुभेंदु अधिकारी ने इन आरोपों का मजाक उड़ाते हुए कहा, “यह तो बस शुरुआत है। अभी नाश्ता शुरू हुआ है। दोपहर का भोजन, चाय और फिर रात का खाना बाकी है।“ अधिकारी ने हालांकि हटाए गए नामों की नई संख्या बताने से परहेज किया। लेकिन कहा कि वह 14 फरवरी को फाइनल लिस्ट जारी होने के बाद इस बारे में कुछ कहेंगे।
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