गीतांजलि की मौत का कारण और जिम्मेदार कौन? 12 साल बाद भी रहस्य बरकरार
/file/upload/2025/12/6470290219234731724.webpअपने पति के साथ गीतांजलि की फाइल फोटो।
जागरण संवाददाता, पंचकूला। गीतांजलि मौत मामले में मंगलवार को पंचकूला की सीबीआई विशेष अदालत ने फैसला सुनाया। गीतांजलि के पति तत्कालीन सीजेएम नवनीत गर्ग, ससुर (सेवानिवृत्त सेशन जज) कृष्ण कुमार गर्ग और मां रचना गर्ग को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। करीब 12 साल चली जांच और सुनवाई के बावजूद मौत के असली कारण और जिम्मेदार व्यक्ति का पता नहीं चल सका। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सीबीआई कोर्ट के जज राजीव गोयल ने अपने फैसले में कहा कि जांच एजेंसी गीतांजलि की हत्या या दहेज हत्या को साबित करने में पूरी तरह विफल रही है। अभियोजन पक्ष यह सिद्ध नहीं कर सका कि गीतांजलि की मौत हत्या थी या दहेज के लिए की गई हत्या। इस फैसले के साथ ही मामला कानूनी रूप से समाप्त हो गया, लेकिन गीतांजलि की मौत हत्या थी या आत्महत्या यह सवाल 12 साल बाद भी अनसुलझा ही रह गया है।
17 जुलाई 2013 को मिला था शव
17 जुलाई 2013 को गुरुग्राम के पुलिस ग्राउंड में गीतांजलि का शव मिला था। सीबीआई ने शुरू में हत्या के एंगल से जांच की और डॉक्टर की राय भी इसे हत्या का मामला बता रही थी। चार्जशीट दाखिल करते समय हत्या की धाराओं में बदलाव कर दहेज हत्या (धारा 304-B) जोड़ दी गई और नवनीत गर्ग, उनके पिता और मां को आरोपित बना दिया गया।
अदालत के फैसले का आधार
मुकदमे की सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि घटना वाले दिन गीतांजलि ने पंचकूला निवासी अपने माता-पिता, भाई, भाभी और अन्य परिजनों से बातचीत की थी। सभी बातचीत सामान्य थी और किसी प्रकार की प्रताड़ना या दहेज मांग की कोई शिकायत सामने नहीं आई। अभियोजन पक्ष दहेज मांग या क्रूरता से जुड़ा कोई भी आरोप प्रमाणित नहीं कर सका। इसी वजह से तीनों आरोपितों को अदालत से राहत मिली।
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