यूपी में सिल्क उत्पाद को पहचान दिलाएगा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, रेशम निदेशालय में किया जा रहा है निर्माण
/file/upload/2025/12/3579308858630238759.webpराज्य ब्यूरो, लखनऊ। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के माध्यम से प्रदेश के पारंपरिक रेशम उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा। रेशम निदेशालय में बनाए जा रहे इस सेंटर में पर्यटकों के लिए गाइडेड टूर और वर्कशाप भी आयोजित की जाएंगी, जो युवाओं की इस क्षेत्र में रुचि जगाएंगे। सेंटर पर उत्कृष्ट रेशम उत्पादों की बिक्री भी की जाएगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के निर्माण पर 75 लाख रुपये की लागत आएगी। निर्माण इस माह के अंत तक पूरा होने की संभावना है। सेंटर मे रेशम उत्पादन की पूरी प्रक्रिया \“\“\“\“साइल टू सिल्क\“\“\“\“ को जीवंत रूप से प्रदर्शित किया जाएगा।
किसानों से कारीगरों की भूमिका तक को दर्शाया जाएगा कि किस प्रकार मलबरी और टसर सिल्क के लिए रेशम के कीड़े शहतूत और अर्जुन के पेड़ों पर पाले जाते हैं। उनके कोकून से रेशम निकाल कर धागा बनाना और धागों से हथकरघा और पावरलूम पर रेशम की कताई का काम किया जाता है।
रेशम निदेशालय के असिस्टेंट डायरेक्टर नीरेंद्र कुमार और आशुतोष ने बताया कि सेंटर पर वाराणसी की साड़ी और भदोही का ब्रोकेड, मिर्जापुर का टसर सिल्क उत्पाद और अन्य जिलों के हैंडलूम वस्त्रों का आकर्षक डिस्प्ले किया जाएगा।
बिक्री केंद्र भी स्थापित किया जाएगा, जहां पर्यटक और खरीदार सीधे स्थानीय कारीगरों के उत्पाद खरीद सकेंगे। एक चेंजिंग रूम का भी निर्माण किया जा रहा है, जो जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगा। सेंटर आधुनिक तकनीक से लैस होगा, जिसमें इंटरएक्टिव डिस्प्ले, वर्कशाप और ट्रेनिंग सेंटर शामिल होंगे।
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