महोबा में 40 करोड़ के फसल बीमा घोटाले में जालौन कनेक्शन, जिला प्रबंधक भी शामिल
/file/upload/2025/12/3207262285547199391.webpजागरण संवाददाता, महोबा। खरीफ 2024 में हुए 40 करोड़ के फसल बीमा घोटाले का जालौन से तगड़ा कनेक्शन नजर आ रहा है। जालसाजों ने नदी, नाले, पहाड़ व चकमार्ग की जमीनों का भी बीमा करा लिया।
तहसील कुलपहाड़ के ग्राम इंदौरा की जमीनों का 33 लोगों ने फसल बीमा कराया और उनका भुगतान भी हो गया। इसमें 11 ऐसे लोग है जो जनपद जालौन के विभिन्न क्षेत्रों के निवासी है।
खास बात है कि घोटाले का मुख्य आरोपित बीमा कंपनी इफको टोकियो जिला प्रबंधक निखिल चतुर्वेदी भी ऐदलपुर पर्वतपुर का निवासी है। हालांकि अभी वह जेल में है। बहुत संभव है कि जिला प्रबंधक ने ही अपने करीबियों और रिश्तेदारों का बीमा कराकर उनका भुगतान करा दिया हो। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह जांच का विषय है। कुछ दिनों पूर्व प्रमुख सचिव कृषि को जिला प्रशासन ने इस घोटाले की रिपोर्ट भेजी है। इसके बाद जांच में तेजी आई और रोजाना चौंकाने वाली तस्वीर सामने आ रही है।
सदर तहसील में घोटाले की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर 129 दिनों से धरना दे रहे जय जवान जय किसान के अध्यक्ष गुलाब सिंह ने दावा किया है कि घोटाले में बीमा प्रबंधक के साथ ही कृषि विभाग व राजस्व टीम के लोगों ने भी खेल किया है।
इंदौरा ग्राम में 33 किसानों का 83.50 लाख का भुगतान हो गया और इनमें 10-11 लोग ऐसे है जो जनपद जालौन के विभिन्न क्षेत्रों के है। जिन किसानों की जमीन है उन्हें पता नहीं कि खेल कैसे हो गया। गुलाब सिंह दावा करते है कि उरई की पार्वती ने इंदौरा की जमीन का बीमा कराया और उनके कोआपरेटिव बैंक उमरई जालौन की शाखा में 2.67 लाख से अधिक भुगतान हो गया।
उरई ग्रामीण की रामसखी का उनके इंडियन बैंक डकोर की शाखा में तीन लाख से अधिक का भुगतान चला गया। इसी तरह जनपद जालौन के कोटरा, डकोर सहित अन्य क्षेत्रों के लोगों ने बीमा कराया। सभी ने व्यक्तिगत दावा के जरिए भुगतान करा लिया।
जिला प्रबंधक निखिल चतुर्वेदी के जालौन जनपद का निवासी होने के चलते बहुत संभव है कि उसने ही अपने सगे संबंधियों, दोस्तों व रिश्तेदारों का बीमा कराया हो। उपनिदेशक कृषि रामसजीवन बताते है कि पूरे मामले की जांच अभी चल रही है। जिनके नाम सामने आ रहे है उन पर कार्रवाई कराकर जेल भेजा जा रहा है।
कृषि अधिकारी दुर्गेश सिंह ने बताया कि शासन से अभी कोई रिपोर्ट नहीं मांगी गई है। पहले ही घोटाले की रिपोर्ट प्रमुख सचिव कृषि को भेजी जा चुकी है। अब तक इस मामले में बीमा कंपनी इफको टोकियो के जिला प्रबंधक निखिल चतुर्वेदी व महिला समेत 32 लाेगों को जेल भेजा जा चुका है।
घोटाले में शहर कोतवाली, चरखारी, कुलपहाड़, अजनर व थाना पनवाड़ी में छह मुकदमे दर्ज किए गए है। 27 अगस्त को बीमा कंपनी के जिला प्रबंधक सहित नामजद व अन्य अज्ञात पर मुकदमा शहर कोतवाली में दर्ज हुआ था।
कृषि विभाग के बीमा पटल सहायक अतुलेंद्र विक्रम को भी निलंबित किया जा चुका है। 24 सितंबर को जिला सत्र न्यायालय ने पांच आरोपितों की जमानत खारिज कर दी थी।
इस तरह किया गया फर्जीवाड़ा
फसल बीमा में फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों ने कंपनी से सांठगांठ कर ऐसे गांवों को चुना, जहां चकबंदी प्रक्रिया चल रही है। बीमा करने के लिए पोर्टल (प्रधानमंत्री फसल बीमा पोर्टल) पर भू-स्वामी व बटाईदार अपना बीमा करा सकता है। चकबंदी प्रक्रियावाले गांवों का डाटा प्रदर्शित नहीं होता, जिससे कोई भी 10 रुपये के स्टांप पर बटाईनामा बनवाकर जमीन पर बीमा करा सकता है। इसमें वह जो जानकारी भर देता है वह सही मानी जाती है। खाली स्टांप भी इसमें लगाया जा सकता है। उसी के कागजातों के आधार पर बीमा होता है। इसकी जांच बीमा कंपनी ही करती है। इसके बाद व्यक्ति टोल फ्री नंबर पर फोन कर नुकसान की जानकारी देता है। इसकी जांच भी बीमा कंपनी करती है और क्लेम पास कर भुगतान दे देती है। जाहिर है कहीं न कहीं बीमा कंपनी के लोग भी इसमें शामिल है। किसी भी मामले का सत्यापन नहीं किया गया। यदि सत्यापन कराया जाता तो शायद फर्जी भुगतान होने से बच जाता।
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- खरीफ 2025 में भी की घोटाला करने के कोशिश -
खरीफ 2024 के बीमा घोटाले की जांच अभी पूरी नहीं हुई कि जालसाजों ने खरीफ 2025 में भी घोटाले की पूरी कोशिश की। ढाई लाख से अधिक आवेदन में 52 हजार पालिसियां निरस्त कर दी गई। इनमें 147 ऐसे मामले सामने आए जिनमें दूसरे लोगों ने किसानों की जमीन का बीमा करा लिया। सभी की सूची शहर कोतवाली पुलिस को सौंपी गई है। नाम व पता सत्यापन के बाद कार्रवाई की जाएगी। वहीं निरस्त की गई पालिसियों में 503 किसानों ने फिर से आवेदन किया और उनका तहसील स्तर पर सत्यापन हो रहा है। रबी 2025 में 60 हजार से अधिक आवेदन आ चुके है।
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