अंतरराष्ट्रीय मानकों पर सब्जियां उगाएंगे किसान ताकि पूर्वांचल बने निर्यात का हब, आइआइवीआर देगा प्रशिक्षण
/file/upload/2025/12/1434829232432433594.webpपहले पारंपरिक खेती के कारण निर्यात में समस्या आई थी, अब IIVR वैज्ञानिक खेती और गुणवत्ता परीक्षण पर जोर देगा।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। किसानों की आय को बढ़ाने के संदर्भ में काशी में नए सिरे से प्रयास किया जा रहा है। अब अंतरराष्ट्रीय मानकों पर सब्जियां उगाएंगे किसान ताकि पूर्वांचल निर्यात का हब बन सके। इसके लिए आइआइवीआर प्रशिक्षण देगा। पूर्वांचल सब्जी निर्यात का हब बने और इधर के किसानों की आय दोगुना हो, इसके लिए वाराणसी के सांसद व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर संभव प्रयास में लगे हुए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसके लिए आवश्यक है कि सब्जियाें के उत्पाद पोषण, उर्वरक, रासायनिक संरचना व कीटनाशकों के स्तर पर अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार हों, इसलिए इस बार प्रधानमंत्री ने इसकी जिम्मेदारी सौंपी है वाराणसी के शाहंशाहपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान को। संस्थान के विज्ञानी किसानों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार सब्जी उत्पादन करने का प्रशिक्षण देंगे, जिससे यहां के उत्पादों को विदेशों में बाजार मिल सके।
पूर्वांचल की सब्जियों के निर्यात के लिए वाराणसी के करखियांव में कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपिडा) द्वारा कृषि निर्यात हब की स्थापना की गई थी। आसपास के जिलों में इंटीग्रेटेड पैक हाउस बनाने की भी योजना थी, जहां सब्जियों की छंटाई, पैकिंग, कोल्ड स्टोरेज और क्वालिटी टेस्टिंग (एमाआरएल टेस्ट) की सुविधा भी हो, साथ ही लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर एपिडा द्वारा कोल्ड रूम, कस्टम क्लीयरेंस और पैकेजिंग सुविधाएं स्थापित की गईं।
इससे पिछले तीन वर्षों में यहां से हरी मिर्च, मटर, बैंगन, भिंडी, टमाटर, लौकी आदि सब्जियों का निर्यात खाड़ी देशों को आरंभ हुआ था लेकिन यह मात्रा अत्यल्प रही। इसके पीछे किसानों द्वारा पारंपरिक ढंग से तथा अवैज्ञानिक तरीके से की जाने वाली खेती जिम्मेदार है। बाद में एपिडा ने इस हब को मंडी परिषद को सौंप दिया, परिषद के हाथों में आते ही सब्जी निर्यात बंद हो गया।
बताते हैं कि बीते आम के सीजन में देश के अन्य भागों से यूरोप व अमेरिका भेजे गए पांच हजार टन आम परीक्षण में कीटनाशक के मानक पर फेल घोषित कर दिए गए थे, और उन देशों नेे इन उत्पादों को अपने बाजार में उतारने से मना कर दिया, इससे किसानों तथा संबंधित एजेंसियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था और भारतीय कृषि उत्पादों की प्रतिष्ठा भी प्रभावित हुई थी।
इस घटना के बाद सरकार अब कोई रिस्क नहीं मोल लेना चाहती। इसके लिए भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान को पूूर्वांचल के किसानों को प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय से मिले निर्देश पत्र के अनुसार आइआइवीआर के विज्ञानी किसानों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार खाद, बीज व कीटनाशक का प्रयोग करने का प्रशिक्षण देंगे ताकि उनके उत्पाद अंतरराष्ट्रीय मानकों के परीक्षण में फेल न हो सकें।
संस्थान के विज्ञानी अब आसपास के जनपदों में किसानों को सब्जी उत्पादन के लिए प्रेरित करने के साथ ही अपनी निगरानी में उन्हें मानकीकृत सब्जी की खेती कराएंगे। इसके लिए मिट्टी के परीक्षण से लेकर जैविक उर्वरक व कीटनाशक की मात्रा व उन्हें डालने के समय का भी निर्धारण करना किसानों को बताएंगे। उत्पादन को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने के लिए किसानों को एफपीओ से जोड़ने, तथा उनके उत्पादों की वैज्ञानिक ढंग से पैकेजिंग भी कराई जाएगी ताकि रास्ते में इनके खराब होने की आशंका न्यूनतम रहे।
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