deltin33 Publish time 2025-12-28 20:57:06

MP News: कांग्रेस में नियुक्तियों पर घमासान, प्रदेश प्रभारी ने BLA की सूची को बताया फर्जी, संगठन में बढ़ी खींचतान

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मप्र कांग्रेस कार्यालय भवन (सांकेतिक तस्वीर)



डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस में मनमर्जी की स्थिति आए दिन दिखाई दे रही है। कभी कोई संगठन मंत्री नियुक्त कर देता है तो कभी कोई समिति बना देता है। जबकि, सबके लिए एक प्रक्रिया और अधिकार क्षेत्र निर्धारित है। नियुक्तियों को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सूची पर जताया संदेह

तीन दिन पहले प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में तो प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के लिए बनाए गए बूथ लेवल एजेंटों (BLA) की सूची पर ही संदेह जता दिया। जिला और ब्लॉक अध्यक्ष की नियुक्तियों को लेकर कई आपत्तियां सामने आ चुकी हैं। टैलेंट हंट के लिए बनाई समिति का आदेश भी विवादों में घिर गया।

मामला बढ़ा तो प्रदेश मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने पद से त्यागपत्र दे दिया। जैसे-तैसे उन्हें मनाया गया पर इससे एक बात तो साफ हो गई कि कांग्रेस में संगठन के सशक्तीकरण के लेकर चल रहे प्रयासों में अभी बहुत काम करने की आवश्यकता है।

प्रदेश में चुनावों में लगातार मिल रही हार के बाद कांग्रेस ने वर्ष 2025 को संगठन वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया। उद्देश्य साफ था कि भाजपा से यदि चुनाव में मुकाबला करना है तो पहले संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत बनाना होगा। इसके लिए चहेतों को पद देकर उपकृत करने के स्थान पर संगठन सृजन अभियान के माध्यम से जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की गई।
नियुक्तियों पर विरोध

हालांकि, इंदौर, भोपाल, उज्जैन सहित अन्य जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर विरोध हुआ। स्थिति यहां तक बन गई कि उज्जैन में जिला कांग्रेस के समानांतर गतिविधियां संचालित होने लगीं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी की उपस्थिति में हुए कार्यक्रम से इतर उसी दिन दूसरा कार्यक्रम शहर में आयोजित कर दिया।

इंदौर में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यक्रम में जिले के नेताओं को जाने से रोका गया। भोपाल में कई जगह प्रदर्शन हुए। जैसे-तैसे यह मामला शांत हुआ तो संगठन मंत्रियों की नियुक्ति का विवाद सामने आ गया। प्रदेश अध्यक्ष ने नियुक्तियां कर दीं, जिसे प्रदेश प्रभारी ने यह कहते हुए रद कर दिया कि पहले केंद्रीय संगठन से अनुमोदन लिया जाना था।
ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति में नहीं हुई पूछपरख

ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति में भी लगभग यह स्थिति बनी। पहली बार एक साथ 780 ब्लॉक अध्यक्ष नियुक्त किए गए लेकिन रतलाम, आलीराजपुर सहित अन्य जगह विवाद सामने आए। जिला अध्यक्षों ने व्यक्तिगत कारण बताते हुए अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिए।

दरअसल, संगठन सृजन अभियान में यह कहा गया था कि जिले में नियुक्ति से लेकर कोई भी निर्णय जिला अध्यक्षों की सहमति के बिना नहीं होगा, पर नियुक्तियों में कोई पूछपरख नहीं हुई।
इधर भी खींचतान

ताजा मामला प्रदेश में प्रवक्ताओं की नियुक्ति के लिए टैलेंट हंट कार्यक्रम करने के लिए समिति गठित करने से जुड़ा है। प्रदेश संगठन ने 11 सदस्यीय समिति गठित की। इसके बाद 23 दिसंबर को मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने आदेश जारी कर दिए। इसमें राष्ट्रीय आदिवासी कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया को भी सदस्य बना दिया, जबकि राष्ट्रीय पदाधिकारी की किसी भी समिति में नियुक्ति से पहले केंद्रीय संगठन से सहमति आवश्यक है।

इस आदेश को प्रभारी महासचिव अभय तिवारी ने निरस्त कर दिया। मामला बढ़ा तो मुकेश नायक ने पद से त्यागपत्र दे दिया। यद्यपि, प्रदेश अध्यक्ष ने इसे अस्वीकार कर दिया, मगर विवाद तो खड़ा हो ही गया।

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कमलेश्वर पटेल ने उठाया समन्वय की कमी का मुद्दा

शुक्रवार को कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य और पूर्व मंत्री पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने एक बार फिर समन्वय की कमी की मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय स्तर पर आपसी सहमति के आधार पर ही नियुक्तियां होनी चाहिए।

दरअसल, अब मंडल, पंचायत और वार्ड समितियां बननी हैं। चुनाव में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी, इसलिए सभी चाहते हैं कि उनकी सहमति से ही नियुक्तियां हों ताकि चुनावी जमावट वे अपने हिसाब से कर सकें।

इसी बैठक में प्रदेश प्रभारी ने BLO की नियुक्ति पर एक प्रकार से संदेह जताते हुए पूछा कि यदि सबको बुलाएंगे तो आज जाएंगे। इस पर संगठन की ओर से आश्वस्त किया गया कि सभी की नियुक्तियां रिकॉर्ड पर हैं और सूची राष्ट्रीय संगठन को भी भेजी गई है। जब बुलाएंगे तब आ जाएंगे।
पीढ़ी परिवर्तन हो रहा है, समन्वय बनाना सबका काम


पीढ़ी परिवर्तन हो रहा है। 71 जिले, 1,047 ब्लॉक, 230 विधानसभा समिति से लेकर 71 हजार मतदान केंद्रों पर संगठन को खड़ा करना बड़ी बात है। जब बड़े स्तर पर काम होता है तो कुछ असहमति होना अस्वभाविक नहीं है। समन्वय बनाना किसी एक का काम नहीं, सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। संवाद में बड़ी शक्ति होती है, जहां तक त्यागपत्र की बात है तो वे अस्वीकार किए जा चुके हैं।
-संजय कामले, संगठन महामंत्री
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