Draupadi Murmu: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने INS वाघशीर पर समुद्र की गहराइयों में की ऐतिहासिक यात्रा, कलवरी क्लास सबमरीन में बिताया वक्त
President Murmu: भारतीय नौसेना के इतिहास में आज का दिन एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज हो गया। सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कर्नाटक के कारवार नौसेना बेस से स्वदेशी \“कलवरी क्लास\“ की पनडुब्बी INS वाघशीर में सवार होकर समुद्र की गहराइयों का अनुभव लिया। यह न केवल उनकी पहली सबमरीन यात्रा थी, बल्कि भारतीय नौसेना की बढ़ती हुई ताकत और \“आत्मनिर्भर भारत\“ के संकल्प का एक शक्तिशाली संदेश भी था।कलाम साहब के बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने की INS की सवारी
पनडुब्बी के भीतर जाना और उसके परिचालन को समझना बेहद चुनौतीपूर्ण माना जाता है। भारत के इतिहास में यह केवल दूसरी बार है जब किसी राष्ट्रपति ने सबमरीन सॉर्टी (समुद्री यात्रा) की है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने अपने कार्यकाल के दौरान यह अनुभव किया था। आज राष्ट्रपति मुर्मू ने भी सबमरीन के भीतर की कठिन परिस्थितियों को समझ और वहां तैनात नौसैनिकों के साथ बातचीत कर उनका हौसला बढ़ाया।
President Droupadi Murmu embarked the Indian Navy\“s indigenous Kalvari class submarine INS Vaghsheer at Karwar Naval Base, Karnataka. The President is undertaking a sortie on the Western Seaboard. Chief of Naval Staff Admiral Dinesh K. Tripathi is accompanying the Supreme… pic.twitter.com/8LWzOkc4Ut — President of India (@rashtrapatibhvn) December 28, 2025
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साइलेंट किलर है INS वाघशीर
जिस पनडुब्बी में राष्ट्रपति ने यात्रा की, वह भारत की आधुनिक रक्षा प्रणाली का अहम हिस्सा है। INS वाघशीर पूरी तरह से भारत में निर्मित \“स्कॉर्पीन\“ (कलवरी क्लास) श्रेणी की पनडुब्बी है। इस यात्रा के दौरान नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी भी राष्ट्रपति के साथ मौजूद रहे। उन्होंने पश्चिमी समुद्र तट पर नौसेना की रणनीतिक तैयारियों और अंडरवॉटर ऑपरेशंस के बारे में राष्ट्रपति को ब्रीफ किया।
क्यों अहम है राष्ट्रपति का दौरा?
समुद्र के सैकड़ों फीट नीचे हफ्तों तक रहने वाले नौसैनिकों के लिए उनके सर्वोच्च कमांडर का साथ होना गर्व की बात है। INS वाघशीर जैसी स्वदेशी पनडुब्बियां भारत की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता को दर्शाती हैं। पश्चिमी समुद्र तट भारत के लिए व्यापारिक और सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील है, वहां राष्ट्रपति की मौजूदगी नौसेना की मुस्तैदी को रेखांकित करती है।
पनडुब्बी के भीतर का जीवन बेहद कठिन और ऑक्सीजन की सीमित उपलब्धता वाला होता है। राष्ट्रपति का यह दौरा उन चुनौतियों को करीब से समझने की एक कोशिश थी, जिनसे हमारे नौसैनिक देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा करते हुए हर रोज जूझते हैं।
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