cy520520 Publish time 2025-12-28 22:57:52

गोरखपुर में 11 साल से MBBS के फर्स्ट ईयर में अटका छात्र, जांच रिपोर्ट के बाद लिया जाएगा अंतिम फैसला

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11 साल में एमबीबीएस का पहला वर्ष पार न कर पाए छात्र पर होगा अंतिम निर्णय।



जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के पहले वर्ष की परीक्षा 11 वर्षों में पास न कर पाए छात्र पर अब अंतिम निर्णय होगा। एकेडमिक कमेटी को मामला सौंप दिया गया है। कमेटी पूरे मामले की छानबीन कर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। उस रिपोर्ट पर नेशनल मेडिकल काउंसिल से मार्गदर्शन मांगा जाएगा। इसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। यह छात्र 11 वर्षों में एमबीबीएस की पहले वर्ष की परीक्षा भी पास नहीं कर पाया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यह मामला इसलिए भी जटिल हो गया है, क्योंकि वर्तमान में लागू एनएमसी के नियमों के अनुसार किसी भी मेडिकल छात्र को एमबीबीएस प्रथम वर्ष की परीक्षा को पास करने के लिए अधिकतम चार वर्ष का ही समय दिया जा सकता है।

वहीं, वर्ष 2014 में जब इस छात्र ने दाखिला लिया था, तब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) चिकित्सा शिक्षा का नियमन करती थी और उसके नियमों में इस तरह की स्पष्ट समय सीमा का प्रविधान नहीं था। इसी का लाभ उठाते हुए छात्र बीते 11 वर्षों से कॉलेज में बना हुआ है।

वर्ष 2014 बैच का यह छात्र आजमगढ़ का निवासी है और अनुसूचित जाति कोटे के अंतर्गत सीपीएमटी के माध्यम से उसका चयन हुआ था। छात्र के पिता पुलिस विभाग में दारोगा के पद पर कार्यरत हैं।

कॉलेज प्रशासन के अनुसार, राजेंद्र हॉस्टाल में रहते हुए छात्र ने एमबीबीएस प्रथम वर्ष की परीक्षा सिर्फ एक बार दी थी, जिसमें वह सभी विषयों में अनुत्तीर्ण हो गया। इसके बाद वह अपने बैच के साथ न्यू यूजी हॉस्टल में आ गया।

उसने न तो नियमित रूप से कक्षाओं में भाग लिया और न ही दोबारा परीक्षा देने में रुचि दिखाई। उसने कभी परीक्षा का फार्म ही नहीं भरा। इसलिए न तो फीस दी और न ही हास्टल फीस। तभी से यह छात्र मेडिकल कलेज के हॉस्टल में लगातार रह रहा है, लेकिन न तो पढ़ाई कर रहा है और न ही कॉलेज छोड़ने को तैयार है।

शिक्षकों द्वारा उसे विशेष कक्षाएं लगाकर पढ़ाने का प्रस्ताव भी दिया गया, जिसे उसने ठुकरा दिया। हास्टल वार्डन ने छात्र की गतिविधियों और उससे अन्य छात्रों को हो रही परेशानियों को लेकर छह बार लिखित रूप से कॉलेज प्रशासन को अवगत कराया है।

प्राचार्य डॉ. रामकुमार जायसवाल का कहना है कि छात्र अपने बैच के अन्य विद्यार्थियों से कई साल पीछे छूट चुका है। कॉलेज की ओर से उसे कई बार समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन वह कोई बात मानने को तैयार नहीं है।

हॉस्टल की सुविधा का वह लगातार लाभ उठा रहा है, जबकि शैक्षणिक गतिविधियों में उसकी कोई सहभागिता नहीं है। कॉलेज प्रशासन फिलहाल किसी एकतरफा कार्रवाई से बचते हुए एकेडमिक कमेटी और एनएमसी के मार्गदर्शन का इंतजार कर रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि रिपोर्ट आने के बाद छात्र को या तो कोर्स से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा या फिर नियमों के तहत कोई कठोर निर्णय लिया जाएगा।
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