cy520520 Publish time 2025-12-29 10:26:45

परिवार का हाथ बटाने को शुरू की थी जॉब, अब खुद को मानने लगीं बोझ; दिल्ली ब्लास्ट से कैसे बदल गई रीता की जिंदगी?

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रीता। सौ. स्वयं



मुहम्मद रईस, दक्षिणी दिल्ली। चार भाई-बहनों का छोटा सा परिवार है। पिता शिव प्रसाद कैटरिंग का काम करते हैं। जैसे-तैसे घर चलाते हैं। बड़े भाई ने जिम्मेदारी समझी और काम पकड़ लिया। पर महंगाई के इस दौर में जरूरतें पूरी करनी थोड़ी मुश्किल हैं। हाथ बटाने के लिए घर की बड़ी बेटी ने भी जॉब पकड़ी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सैलरी मिलनी शुरू हुई तो यह सोचकर उसे अच्छा लगने लगा कि भाई के साथ मिलकर पिता का बोझ कम कर रही है। पर यह सुखद एहसास केवल तीन महीने तक ही चल पाया। 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए ब्लास्ट ने सब कुछ बदल दिया। घटना में कृष्णा विहार की रहने वाली रीता की आंख और दाहिना पैर जख्मी हुआ। पैर के घाव अब तक भरे नहीं हैं। आंखों से भी धुंधला दिखाई देता है। जो बेटी पिता के बोझ को कम करने चली थी, अब खुद को परिवार पर भार समझने पर विवश है।

रीता बताती हैं कि बैठने पर मांसपेशियां फटकर खून रिसने लगता है। ज्यादातर समय खड़े होकर ही बिताना पड़ता है। आंख से अब धुंधला दिख रहा है। दर्द भी बना रहता है। ज्यादा ध्यान से कुछ देख नहीं पाती हूं। दवा अब भी चल रही है। वो बताती हैं कि वर्ष 2018 में ही इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की था। परिवार की स्थिति को देखते हुए आगे की पढ़ाई नहीं हो पाई। घर का सारा काम संभालती थी।

कोरोना के बाद घर के हालात बिगड़ने लगे तो बड़े भाई ने भी कैटरिंग के ही काम को अपनाया। इसी वर्ष अगस्त में मैंने भी शादीपुर में इंश्योरेंस कंपनी में जॉब खोज लिया। सब कुछ ठीक चल रहा था। घटना वाली शाम मैं घर लौट रही थी। तभी तेज धमाका हुआ। कुछ याद नहीं।

होश आया तो खुद को अस्पताल में पाया। पैर में गहरे जख्म और आंख में भी चोट। अस्पताल से छुट्टी तो मिल चुकी है, पर जख्म है कि भरने का नाम नहीं ले रहा। अब दोबारा काम कर पाउंगी, ऐसी उम्मीद तो कम ही है। सरकार ने गंभीर रूप से घायलों के लिए दो लाख, शारीरिक अपंगता पर पांच लाख और मृतक आश्रित के लिए 10 लाख की घोषणा की थी।

रीता के परिवार को उम्मीद थी की सरकारी मदद उनकी पीड़ा और आर्थिक बोझ को कम करने में शायद मददगार बने। पर खाते में केवल 20 हजार रुपये ही आए। परिवार का सवाल है कि क्या ये राशि पूरे परिवार को पहुंचे मानसिक आघात, उनकी बेटी को मिले मानसिक आघात की क्षतिपूर्ति के लिए पर्याप्त है। हालांकि उनके सवाल को पत्र लिखकर साउथ एशियन फोरम फार पीपल अगेंस्ट टेरर ने सरकार के समक्ष रखा है। संस्था ने हाईकोर्ट के निर्देश और पिछली कई आतंकी घटनाओं में मिले सरकारी राहत का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से पीड़िता के लिए मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग की है।
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