Chikheang Publish time 2025-12-29 10:57:22

भारत की पिचों को लेकर शोर मचाने वाले एमसीजी की पिच पर चुप, दोहरे मापदंड को लेकर ऑस्ट्रेलिया का चेहरा उजागर

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ऑस्ट्रेलिया में एमसीजी की पिच को लेकर पसरा सन्नाटा



जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली : मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (एमसीजी) पर खेला गया ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच बॉक्सिंग डे टेस्ट महज दो दिन में खत्म हो गया, लेकिन जिस तरह की तीखी आलोचना आमतौर पर भारत या उपमहाद्वीप की पिचों पर देखने को मिलती हैं, वैसा शोर आस्ट्रेलिया में सुनाई नहीं दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यही वजह है कि क्रिकेट जगत में अब ऑस्ट्रेलिया के दोहरे मापदंड पर सवाल खड़े हो रहे हैं। एमसीजी पर पहले दिन ही 20 विकेट गिरे थे और दो दिन में ही मैच का नतीजा तय हो गया था। इस मैच में इंग्लैंड ने चार विकेट से जीत दर्ज की थी।
ऑस्ट्रेलिया की आवाज होती है मुखर

यही ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट तंत्र तब सबसे ज्यादा मुखर हो जाता है, जब भारत में स्पिन मददगार पिचों पर टेस्ट मैच ढाई या तीन दिन में खत्म हो जाते हैं। 2023 में भारत में खेली गई सीरीज के दौरान ऑस्ट्रेलियाई दिग्गजों ने भारतीय पिचों को अनुचित और टेस्ट क्रिकेट के विरुद्ध करार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। तब माइकल क्लार्क जैसे पूर्व कप्तान ने भारतीय पिचों को बेकार तक कह दिया था, लेकिन एमसीजी की पिच को लेकर किसी भी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ने ऐसी प्रतिक्रिया नहीं दी है। अब जब वही स्थिति ऑस्ट्रेलिया में बनी, तो सवाल उठ रहा है कि क्या नियम और मानक सिर्फ उपमहाद्वीप के लिए हैं।
स्टोक्स ने भी की आलोचना

इस बीच, इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने साफ शब्दों में कहा कि ऐसी पिच टेस्ट क्रिकेट के लिए ठीक नहीं है। अगर दो दिन से कम समय में 36 विकेट गिर जाएं और कोई भी टीम 200 रन तक न पहुंच सके, तो यह खुद में पिच की कहानी कह देता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह मैच रेफरी जेफ्री क्रो को खुलकर अपनी राय देंगे।

इस बीच, इंग्लैंड के पूर्व कप्तान केविन पीटरसन ने भी पिच की कड़े शब्दों में आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि यह टेस्ट क्रिकेट का अपमान है और अगर यही हाल भारत में होता, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हंगामा खड़ा हो जाता। भारत के पूर्व ओपनर आकाश चोपड़ा ने भी तंज कसते हुए कहा कि डेढ़-दो दिन के टेस्ट में स्पिन का एक भी ओवर नहीं हुआ। अगर उपमहाद्वीप में ऐसा होता तो क्या बवाल मचता।

सच्चाई यही है कि जब भारत में स्पिन पिचों पर मैच जल्दी खत्म होते हैं, तो नैरेटिव बदल जाता है। लेकिन एमसीजी जैसी तेज गेंदबाजी अनुकूल पिच पर वही नतीजा आए, तो उसे परिस्थिति कहकर टाल दिया जाता है। यही दोहरा रवैया अब क्रिकेट जगत के सामने बेनकाब हो चुका है।

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