दिल्ली में तीन साल बाद भी नहीं शुरू हो पाए 6836 बेड के सात अस्पताल, आखिर क्यों?
/file/upload/2025/12/7731250410930794692.webpजागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। राजधानी में स्वास्थ्य ढांचे का विस्तार करने और लंबे समय से अटकी परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने की ओर से दिल्ली सरकार ने कदम बढ़ाए हैं। इसके तहत जिन 11 निर्माणाधीन अस्पतालों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के जरिए चलाने की योजना बनाई जा रही है, उनमें से सात पर चार वर्ष पहले ही काम शुरू हुआ था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
गुरु तेग बहादुर अस्पताल समेत गीता कॉलोनी, शालीमार बाग, सुल्तानपुरी, सरिता विहार, रघुबीर नगर और किराड़ी के कुल 6836 बेड के ये अस्पताल एक बड़ी आबादी को राहत देने में सक्षम हैं। कहीं काम अटका तो कहीं समय पर एनओसी नहीं मिल पाया।
सरिता विहार का हाल ही अलग है। यहां 336 बेड का भारी भरकम अस्पताल भवन बिना पार्किंग सुविधा के 2022 में तैयार हो गया। आरोप हैकि नक्शे में भूमिगत पार्किंग दर्ज थी, पर ठेकेदार ने पार्किंग बनाई ही नहीं। एल ब्लाक रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने इसे लेकर कॉलोनी में जाम की समस्या का हवाला देते हुए आपत्ति जताई, प्रदर्शन भी किया।
सरकार ने नहीं सुनी तो कोर्ट गए, जहां से स्टे मिला। फिलहाल मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है। अब सरकार की नई पहल को लेकर एक बार फिर से सरिता विहार, मदनपुर खादर, जसोला और शाहीनबाग के लोगों के अस्पताल शुरू होने की उम्मीद जगी है।
सरिता विहार आरडब्ल्यूए पदाधिकारियों के मुताबिक आस-पास के इलाके में कोई अस्पताल है ही नहीं। दुर्घटना होने या इमरजेंसी पड़ने पर लगभग नौ किलोमीटर दूर सफदरगंज या एम्स जाना पड़ता है। यहां अस्पताल में ओपीडी, इमरजेंसी, आइसीयू की सुविधा मिलेगी, जो इलाके के लिए निहायत ही जरूरी है। पर अस्पताल शुरू करने से पहले पार्किंग की समस्या को भी सुलझाना होगा।
लक्ष्मी नारायण मंदिर मोड़ से जीडी गोयनका स्कूल तक लगभग 400 मीटर की सड़क सुबह-शाम जाम की चपेट में रहती है। अस्पताल शुरू होने की स्थिति में अस्पताल स्टाफ, तीमारदार आदि के वाहनों का बोझ भी इसी रोड पर आएगा। पार्किंग की व्यवस्था न होने पर लोग सड़क किनारे ही वाहन पार्क करेंगे। ऐसे में जाम की समस्या विकराल रूप धर लेगी। ऐसे में सरकार से आग्रह है कि अस्पताल शुरू करने से पहले पार्किंग की भी समुचित व्यवस्था की जाए।
कराया जाएगा विस्तृत व्यवहार्यता अध्ययन
दिल्ली सरकार ने निर्माणाधीन इन सात अस्पतालों केे साथ ही चार नए यानी कुल 11 अस्पतालों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के जरिए संचालित करने की योजना बनाई है। इस प्रस्ताव की वित्तीय, तकनीकी और संचालन व्यवस्था का आंकलन करने के लिए एक विस्तृत व्यवहार्यता अध्ययन कराने का फैसला लिया है। इसके लिए स्वास्थ्य सेवा निदेशालय की ओर से टेंडर भी जारी किया जा चुका है।
अधिकारियों के मुताबिक चयनित एजेंसियां पीपीपी माडल पर चल रहे अन्य अस्पतालों का अध्ययन करेंगी और ग्लोबल स्तर पर अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट देंगी। फायदे और नुकसान के साथ-साथ टेक्नो-कमर्शियल स्ट्रक्चर की रूपरेखा बताई जाएगी। हर अस्पताल लोकेशन, आकार, क्षमता और क्लिनिकल सेवाओं के हिसाब से अलग हैं, इसलिए हर परियोजना की अलग-अलग रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी जाएगी। जिन कंपनियों को काम मिलेगा वे बचे हुए निर्माण कार्य को भी पूरा कराएंगी।
मरीजों का लोड व स्वास्थ्य सेवा मांग का भी होगा आकलन
अधिकारियों के मुताबिक अलग-अलग प्राइवेट एजेंसियों द्वारा किए जाने वाले व्यवहार्यता अध्ययन के नतीजों के आधार पर एग्रीमेंट में जिम्मेदारियों, जोखिमों, रेवेन्यू और मरीजों के लोड को शेयर करने के बारे में बताया जाएगा। इसमें मुफ्त और पेड मरीजों का अनुपात भी शामिल होगा। क्षेत्र और सेवा मूल्यांकन, जिसमें जनसंख्या कवरेज, स्वास्थ्य सेवा की मांग और मरीजों की प्रोफाइल का मूल्यांकन किया जाएगा। इसमें ईडब्ल्यूएस, बीपीएल, डीजीईएचएस लाभार्थी और कम एवं मध्यम आय वाले वर्ग समाहित हैं।
42 हजार से अधिक मेडिकल स्टाफ की पड़ेगी जरूरत
अनुमान के मुताबिक सुविधाओं को पूरी तरह संचालित करने के लिए 42,000 से ज्यादा मेडिकल स्टाफ की जरूरत होगी। वहीं इस पर लगभग 9,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। पीपीपी माडल के तहत निजी कंपनी निर्माण पूरा करने, उपकरण और संचालन के लिए जिम्मेदार होंगे, जबकि सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य उद्देश्यों का पालन सुनिश्चित करने के लिए निगरानी रखेगी। इन अस्पतालों में मुफ्त और भुगतान करने वाले दोनों तरह के मरीजों को सेवाएं उपलब्ध होंगी।
सात अस्पतालों में बेड की स्थिति
[*]शालीमार बाग में आइसीयू सुविधा वाला अस्पताल- 1,430 बेड
[*]सुल्तानपुरी में आइसीयू वाला अस्पताल- 525 बेड
[*]गीता कालोनी स्थित सीएनबीसी अस्पताल- 610 बेड
[*]गुरु तेग बहादुर अस्पताल- 1,912 बेड
[*]सरिता विहार में आइसीयू वाला अस्पताल- 336 बेड
[*]रघुबीर नगर में आइसीयू सुविधा वाला अस्पताल- 1,565 बेड
[*]किराड़ी में प्रस्तावित आइसीयू अस्पताल- 458 बेड
चार नए अस्पतालों में बेड की ये होगी स्थिति
[*]ज्वालापुरी अस्पताल- 691 बेड
[*]मादीपुर अस्पताल- 691 बेड
[*]हस्तसाल अस्पताल- 691 बेड
[*]सिरसपुर अस्पताल- 1,164 बेड
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