New Year 2026: नए साल में सफल होने के लिए फॉलो करें ये 6 मूल मंत्र, कामयाबी चूमेगी कदम
/file/upload/2025/12/5244067366960510589.webpNew Year 2026: नए साल में इन चीजों से बनाएं दूरी
स्वामी अवधेशानन्द गिरि (आचार्यमहामंडलेश्वर, जूनापीठाधीश्वर)। नववर्ष केवल कैलेंडर की तिथि बदलने का अवसर नहीं है, बल्कि आत्ममंथन, आत्मसुधार और नवचेतना के संकल्प का पर्व है। बीते वर्ष के अनुभव, सफलताएं या विफलताएं, हमारे लिए मार्गदर्शक बनते हैं। ऐसे में नववर्ष पर लिया गया संकल्प यदि केवल औपचारिक न होकर जीवन-मूल्यों से जुड़ा हो तो वह व्यक्ति, परिवार और समाज, तीनों के लिए सकारात्मक परिवर्तन का माध्यम बन सकता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पहला और महत्वपूर्ण संकल्प “आत्म-अनुशासन“ का होना चाहिए। आज की भागदौड़ की जीवनशैली में समय, स्वास्थ्य और विचार, तीनों पर नियंत्रण आवश्यक है। समय का सदुपयोग, नियमित दिनचर्या, संतुलित आहार और पर्याप्त विश्राम, ये आत्म-अनुशासन के व्यावहारिक आयाम हैं। जब व्यक्ति स्वयं को संयमित करता है, तभी अपने लक्ष्य की ओर निरंतर अग्रसर हो पाता है।
दूसरा आवश्यक संकल्प “स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता“ का है। ‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास’ होता है। योग, प्राणायाम, व्यायाम और ध्यान को दैनिक जीवन में स्थान देना चाहिए। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य के लिए सकारात्मक सोच, तनाव-प्रबंधन और डिजिटल संतुलन अत्यंत आवश्यक है। नववर्ष पर यह संकल्प लें कि हम अपने शरीर और मन, दोनों की समुचित देखभाल करेंगे।
तीसरा संकल्प “नैतिकता और ईमानदारी“ का होना चाहिए। व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता और कर्तव्यबोध का पालन समाज को सुदृढ़ बनाता है। कार्यक्षेत्र में ईमानदारी, संबंधों में विश्वास और व्यवहार में शुचिता, ये गुण व्यक्ति की पहचान बनते हैं। नववर्ष पर यह संकल्प लें कि हम किसी भी परिस्थिति में नैतिक मूल्यों से समझौता नहीं करेंगे।
चौथा संकल्प “परिवार और संबंधों के पोषण“ का है। आधुनिक जीवन में व्यस्तता के कारण परिवार के लिए समय निकालना चुनौती बन गया है। नववर्ष पर यह प्रण करें कि हम संवाद, सहयोग और संवेदना के माध्यम से पारिवारिक संबंधों को सुदृढ़ करेंगे। बड़ों का सम्मान, छोटों के प्रति स्नेह और जीवनसाथी के साथ सामंजस्य, इनसे ही परिवार रूपी संस्था मजबूत होती है।
पांचवां संकल्प “समाज और राष्ट्र के प्रति दायित्व“ का होना चाहिए। स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, जल-संरक्षण और सामाजिक सद्भाव, ये केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि नागरिक कर्तव्य हैं। एक-एक वृक्ष लगाना, संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना और समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशील रहना, ये छोटे प्रयास बड़े परिवर्तन ला सकते हैं। इसलिए, नववर्ष पर यह संकल्प लें कि हम सक्रिय नागरिक बनकर राष्ट्रनिर्माण में अपना योगदान देंगे।
छठा संकल्प निरंतर सीखने और आत्मविकास का है। ज्ञान का क्षेत्र निरंतर विस्तृत हो रहा है। नई कौशलों का अर्जन, पुस्तकों का अध्ययन और अनुभवों से सीखना, ये व्यक्ति को प्रगतिशील बनाते हैं। नववर्ष पर यह निश्चय करें कि हम सीखने की जिज्ञासा को जीवित रखेंगे और स्वयं को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे।
अतः नववर्ष के संकल्पों का उद्देश्य केवल लक्ष्य निर्धारण नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण होना चाहिए। जब संकल्प जीवन-मूल्यों से जुड़े होते हैं, तब वे स्थायी परिवर्तन का आधार बनते हैं। आइए! इस नववर्ष पर हम संकल्प लें कि हम स्वयं को श्रेष्ठ बनाएंगे, समाज को सशक्त करेंगे और राष्ट्र को समृद्ध बनाने में भूमिका निभाएंगे। यही नववर्ष की सच्ची शुभकामना और सार्थकता है।
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