LHC0088 Publish time 2025-12-29 18:35:55

मुनीर का खत्म होने वाला है खेल! पाकिस्तान और अफगानिस्तान के उलेमाओं ने मिलाया हाथ; अब आगे क्या होगा?

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जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान और पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते विवाद के बीच एक नया मोर्चा उभर कर सामने आ रहा है। ये नया मोर्चा पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है।

अफगानिस्तान में तालिबान शासन और पाकिस्तान के प्रमुख धार्मिक विद्वान एक-दूसरे के करीब आते नजर आ रहे हैं। यह गठजोड़ पाकिस्तानी सेना द्वारा अफगानिस्तान पर किए जा रहे हमलों की खुलकर आलोचना कर रहा है, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में और जटिलता आ रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पाकिस्तान-अफगानिस्तान विवाद में उलेमाओं का नया गठजोड़

जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने हाल ही में कराची के ल्यारी में एक सभा में पाक पीएम शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख मुनीर पर निशाना साधा था।

उन्होंने दोनों के दोहरे रवैये को उजागर करते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान का अफगानिस्तान पर हमला करना जायज है तो फिर भारत पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकियों को क्यों नहीं मार सकता? यह बयान अब तालिबान को भा रहा है। पाकिस्तानी मदरसों की यह विचारधारा उन्हें आकर्षित कर रही है।
तालिबान ने जताया पाकिस्तानी उलेमा के प्रति आभार

डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान सरकार के आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने रविवार को जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल समेत उन सभी पाकिस्तानी संगठनों, नेताओं और उलेमाओं के प्रति अपना आभार जताया, जो अफगानिस्तान के प्रति सकारात्मक सोच रखते हैं। काबुल में एक कार्यक्रम के दौरान हक्कानी ने विशेष रूप से मौलाना फजलुर रहमान के भाषण का जिक्र किया।

हक्कानी ने 23 दिसंबर के सम्मेलन का जिक्र करते हुए कहा कि फजल और उलेमा मुफ्ती तकी उस्मानी ने \“अफगानिस्तान के प्रति अपनी सद्भावना व्यक्त की, जिसके लिए हम इन सभी हस्तियों के प्रति बहुत आभारी हैं। साथ ही, उन्होंने पाकिस्तान के उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार द्वारा दिए गए सकारात्मक बयान की भी सराहना की।
दोनों देशों के बीच सद्भावना की अपील

हक्कानी ने आगे कहा, \“अगर दोनों देशों के बीच सद्भावना, अच्छी बातचीत और सकारात्मक संबंध स्थापित होते हैं और देशों को एक-दूसरे के करीब लाया जाता है, तो हम इसका स्वागत करते हैं।\“ इसी क्रम में, अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने भी ठीक ऐसी ही बाते कही।

उन्होंने कहा, \“हाल ही में, प्रसिद्ध मदरसों और यूनिवर्सिटी और पूरे पाकिस्तान से धार्मिक आंदोलनों और पार्टियों के विद्वान कराची में जमा हुए और अपनी सरकार को सबसे अच्छी सलाह दी। उन्होंने सबसे अच्छे निर्णय लिए। हम उनका सम्मान करते हैं।

हम हमेशा उम्मीद करते हैं कि जैसे विद्वानों ने पूरे इतिहास में सिस्टम और व्यक्तित्वों को सुधारने की कोशिश की है, उन्होंने शांति और अच्छाई के लिए प्रयास किया, उन्होंने भाईचारे और निकटता में भूमिका निभाई। उन्हें भविष्य में भी ऐसी ही भूमिका निभानी चाहिए।
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