LHC0088 Publish time 2025-12-30 03:28:13

3 महीने और 37 हजार Km... चीन के कार्गो शिप ने क्रेन की डिलीवरी के लिए की लंबी यात्रा, अमेरिका को क्यों सता रही चिंता?

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चीन के कार्गो शिप की तय की 37 हजार किमी. की दूरी।



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन का एक कार्गो जहाज इन दिनों चर्चा विषय बना हुआ है। 800 फीट के इस कार्गो जहाज पर पांच बड़े क्रेन लदे हुए थे और इन्हें पहुंचाने के लिए वह 19,700 नॉटिकल मील का सफर तय करेगा। इस पर चीन में बनी क्रेनें लदी थीं, उन्हें जमैका और US गल्फ कोस्ट के बंदरगाहों पर पहुंचाया जाना था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जेन हुआ 29 नाम का ये शिप 20 जून को शंघाई से रवाना हुआ था और हिंद महासागर को पार करने से पहले दक्षिण चीन सागर से होते हुए पश्चिम की ओर बढ़ा। तीन महीने से ज्यादा समय तक समुद्र में रहने और तीन महासागरों को पार करने के बाद, यह जहाज अक्टूबर में जमैका के किंग्स्टन बंदरगाह पर पहुंचा।
लॉन्ग शिपिंग रूट्स को लेकर चिंता

दशकों से इस तरह की लंबी यात्राएं ग्लोबल ट्रेड का हिस्सा रही हैं। चूंकि भारी मशीनरी दुनिया के एक हिस्से में बनाई जाती है और महाद्वीपों पर भेजकर इंस्टॉल की जाती है। ऐसे में जेन हुआ 29 की यात्रा ने लॉन्ग शिपिंग रूट्स के बारे में चिंता पैदा कर दी है।
किस बात की है चिंता

अमेरिका में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों सरकारों ने चीन में बनी क्रेनों पर निर्भर रहने को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि उन पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है और यह भी इशारा किया है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकती हैं। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि अमेरिकी बंदरगाहों पर लगभग 80 प्रतिशत शिप-टू-शोर क्रेन चीन में बनी हैं।

व्हाइट हाउस अब अमेरिकी बंदरगाहों से चीन के अलावा दूसरे देशों से क्रेन खरीदने और घरेलू क्रेन मैन्युफैक्चरिंग को फिर से शुरू करने के लिए कह रहा है। हालांकि, यह बदलाव आसान नहीं है। लगभग 20 सालों से चीनी क्रेन सबसे सस्ते और सबसे आसान उपाय रहे हैं।
कार्गो शिप को क्यों लेना पड़ा लंबा रूट?

दरअसल, शंघाई से मिसिसिपी जाने का सबसे तेज रास्ता आमतौर पर लगभग एक महीना लेता है, जिसमें प्रशांत महासागर और पनामा नहर से होकर गुजरना पड़ता है। लेकिन जो कार्गो यह जहाज ले जा रहा था, उसकी वजह से नहर से गुजरना नामुमकिन था। नतीजतन, जहाज को दुनिया का चक्कर लगाकर लंबा रास्ता लेना पड़ा।

जेन हुआ 29 की यात्रा का सबसे मुश्किल और खतरनाक हिस्सा अफ्रीका के दक्षिणी सिरे पर केप ऑफ गुड होप के पास था। टेक्सास और जमैका में क्रेन उतारने के बाद यह शिप पनामा नहर के रास्ते छोटा रास्ता अपनाकर घर लौट आया और अपनी छह महीने की दुनिया की यात्रा पूरी करके 3 दिसंबर को शंघाई वापस पहुंच गया।

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