cy520520 Publish time 2025-12-30 04:56:50

पुत्रदा एकादशी 2025: चतुर्ग्रही योग के महासंयोग में चमकेंगे संतान के सितारे, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

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भगवान वि‍ष्‍णु



जागरण संवाददाता, बरेली। पौष मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत पूजन करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। यह दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत को रखने से संतान के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
वैदिक पंचांग के मुताबिक पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 30 दिसंबर को सुबह सात बजकर 51 मिनट पर होगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

वहीं इसके साथ ही एकादशी तिथि का अंत 31 दिसंबर को सुबह पांच बजे होगा। आचार्य मुकेश मिश्र ने बताया कि मान्यता के अनुसार एकादशी का व्रत दसवीं बेदी में नहीं किया जाता है और यह व्रत द्वादशी विधि में करने का विधान है, इसलिए इस बार यह व्रत 31 दिसंबर बुधवार को होगा।

पुत्रदा एकादशी पर सिद्ध, शुभ, रवि योग और भद्रावास योग समेत कई दुर्लभ और मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ फलदायी रहेगा। सबसे खास बात यह है कि इस बार एकादशी के दिन सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र एक साथ धनु राशि में गोचर करेंगे, जिससे चतुर्ग्रही योग का निर्माण होगा। इसके साथ ही पुत्रदा एकादशी पर सिद्ध, शुभ, रवि योग और भद्रावास योग समेत कई दुर्लभ और मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। एकादशी व्रत भाग्य को प्रबल कर जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
तुलसी पूजन का विशेष महत्व

पौष पुत्रदा एकादशी के दिन तुलसी के पौधे की पूजा जरूर करनी चाहिए। तुलसी पौधे के पास शाम को घी या सरसों के तेल का दीया जरूर रखना चाहिए। इसके अलावा पौधे को इस तरह से रखें कि इसकी परिक्रमा ठीक से की जा सकें। तुलसी चालीसा का पाठ करना भी फलदायी माना जाता है। ध्यान रखें की तुलसी के पौधे के आसपास गंदगी न हो।



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