दिल्ली में PWD ने टेंडर के नियमों को किया सख्त, सिस्टम में बदलाव लाने को लेकर नए निर्देश जारी
/file/upload/2025/12/7865527403885198672.webpदिल्ली सीएम रेखा गुप्ता के साथ पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने भविष्य की परियोजनाओं को लागू करने में सिस्टम में बदलाव लाने के मकसद से नए निर्देश जारी किए हैं। यह आदेश सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (सीवीसी) के निर्देशों के बाद आया है, जिसमें बेहतर निगरानी और नियमों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए निर्माण स्थलों पर क्वालिटी कंट्रोल लैबोरेटरी स्थापित करना अनिवार्य किया है। पीडब्ल्यूडी के अनुसार अब टेंडर जारी करने से पहले परियोजना की व्यवहार्यता का आंकलन भी कराना होगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पीडब्ल्यूडी के आदेश में कहा गया है कि टेंडर जारी करने से पहले परियोजना स्थल पर यातायात घनत्व और जगह की उपलब्धता को एक अनिवार्य आवश्यकता के रूप में माना जाए। निर्माण नियमों के अनुसार हर ठेकेदार जो नया प्रोजेक्ट शुरू कर रहा है, उसे सैंपल इकट्ठा करने और उन्हें आगे टेस्टिंग के लिए भेजने के लिए योजना स्थल पर ही लैबोरेटरी स्थापित करनी होगी।
नियमों में कहा गया है कि टेंडर बुलाने के नोटिस में बताए गए न्यूनतम उपकरणों के साथ एक साइट लैबोरेटरी स्थापित की जाएगी और काम मिलने के 30 दिनों के भीतर विभाग को बिना किसी अतिरिक्त लागत के उसे चालू किया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि ये नए निर्देश यह सुनिश्चित करने के लिए दिए गए हैं कि जहां योजना स्थल पर लैब संभव नहीं है, टेंडर बुलाने के नोटिस में यह बात लिखनी होगी कि स्वीकृत र अधिकृत लैबोरेटरी में क्वालिटी टेस्टिंग के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाओं को स्पष्ट रूप से बताना होगा।
अधिकारियों ने बताया कि पहले भी पीडब्ल्यूडी की कई परियोजनाएं जगह की कमी और ट्रैफिक परमिशन के कारण अटक गई थीं। जिससे न केवल परियोजना को समय पर पूरा करने में बाधा आई, बल्कि कुछ मामलों में काम की क्वालिटी पर भी असर पड़ा। पंजाबी बाग फ्लाईओवर और आश्रम फ्लाईओवर एक्सटेंशन जैसे फ्लाईओवर के निर्माण सहित सड़क परियोजनाओं में जगह की कमी के कारण देरी हुई।
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