आलू की फसल में लगा झुलसा रोग, किसानों की बढ़ी मुश्किलें; ठंड और गलन में रोग लगने का खतरा
/file/upload/2025/12/6827778233121700260.webpजागरण संवाददाता, रायबरेली। बढ़ती ठंड व घने कोहरे के बीच आलू की फसल में झुलसा व परपरा रोग का प्रकोप बढ़ गया है। आलू की बढ़ती लागत के बीच फसल बचाने को किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचने लगी हैं। रोग से बचाव के लिए किसानों ने खेतों में कीटनाशक दवाओं के छिड़काव के साथ हल्की सिंचाई शुरू कर दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ऊंचाहार तहसील क्षेत्र के किसान नकदी फसल के रूप में सब्जियों की फसल के उत्पादन के साथ आलू की खेती करते हैं। इसमें आलू की फसल प्रमुख है, जिसे वर्ष भर परिवार खाने के लिए सुरक्षित रख शेष आलू की उपज को व्यापारियों के हाथ बेंच कर नकदी प्राप्त करते हैं।
किसान धर्मेंद्र द्विवेदी, शिवधनी वर्मा, राकेश निषाद, रामसुमेर सिंह, तेज बहादुर वर्मा, दिनेश पांडेय का कहना है कि आलू की फसल के लिए एक सप्ताह पूर्व तक तो मौसम अनुकूल था, लेकिन अब रात में घने कोहरे और ठंड बढ़ने के साथ ही पाला पड़ने से आलू समेत फूल वाली फसलों पर रोग का असर दिखाई देने लगा है।
इसकी चपेट में आने से आलू, मटर, टमाटर, गोभी, बैंगन की फसलों में झुलसा रोग का प्रकोप बढ़ गया है। फसल को रोग से बचाने के लिए कीटनाशक दवाओं के छिड़काव के साथ खेतों में नमी भी बनी रहने के लिए हल्की सिंचाई भी कर रहे हैं।
किसानों का कहना है कि आलू का भाव सस्ता होने से फसल की लागत नहीं निकल पा रही है। परपरा व झुलसा रोग बढ़ने से फसल में काफी नुकसान हो सकता है।
कृषि विभाग के ब्लाक तकनीकी प्रबंधक शिवचरन वर्मा ने बताया कि झुलसा रोग आलू की फसल पर तीव्र गति से बढ़ता है, इसको तत्काल नियंत्रण करने की जरूरत है। कृषि विज्ञानी की सलाह पर फसल में दवा का छिड़काव करें। शाम के समय आलू की फसल के पास धुआं करने से फसल को फायदा होगा। खेतों में नमी बनाए रखना जरूरी है।
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