Chikheang Publish time 2025-12-30 18:57:18

ठंड और पाले से आलू की फसल पर झुलसा रोग का खतरा बढ़ा, किसान ऐसे करें बचाव

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आलू की फसल। फाइल



जागरण संवाददाता, आगरा। बढ़ती ठंड और गिरते पाले से आलू की फसल में झुलता रोग लगने का खतरा बढ़ गया है। किसान चिंतित हैं। इस रोग से पौधा मुरझा जाएगा। पौधे के अंदर उसकी नसों में जीरो डिग्री तापमान में पानी जम जाता है। जिससे नसें काली पड़ जाती है। पौधा पूरी तरह से मुरझा जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पत्तियां मुरझाकर गिर जाती हैं। अत्यधिक ओस की बूंदों के कारण आलू के तने ठीक से विकसित नहीं हो पाते हैं। पौधे छोटे तथा बौने रह जाते हैं। इससे बचाव को समय पर सिंचाई आवश्यक है। तभी ठंड और पाले के प्रकोप से आलू की फसल को बचाया जा सकता है।
पाला और अधिक ठंड से बचाव के लिए किसान करें प्रयास

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पाला गिरने के साथ ही रात के वक्त तापमान जीरो या फिर जीरो से नीचे गिर जाता और आर्द्रता 90 प्रतिशत हो जाती है तो आलू का पौधा प्रभावित होने लगता है। पौधे में जो पानी है वह जम जाता है। जिसके कारण पौधा पूरी तरह से कमजोर हो जाता है। उसका विस्तार और कंद प्रभावित हो जाना शुरू हो जाता है। इस स्थिति में पैदावार प्रभावित होने लगती है। इससे बचाव के लिए किसान को सिंचाई के तौर पर हल्का पानी देना चाहिए।
झुलसा रोड से बचाव को करें सिंचाई, और दवाओं का छिड़काव

दूसरा तरीका यह है कि 80 प्रतिशत डब्ल्यूपी 200 ग्राम 100 लीटर पानी में डालकर घोल का फसल पर छिड़काव करना चाहिए। तीसरा उपाय है कि 500 ग्राम थायो यूरिया एक हजार लीटर पानी में डालकर छिड़काव किया जाए। इन प्रयासों से आलू की फसलों को बचाया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर सरसों की खेती भी अधिक ठंड में प्रभावित होगी। लगभग 75 प्रतिशत सफल में फली आ चुकी है। ठंड के कारण सरसों का दाना प्रभावित होगा।



पाला और रात का तापमान जीरो या फिर इससे कम हो जाता है तो आलू की फसल प्रभावित होने लगती है। इससे बचाव का सबसे बड़ा तरीका हल्की सिंचाई है। इसके अतिरिक्त छिड़काव भी किया जा सकता है। डा/. आरएस चौहान, कृषि विशेष, केवीके बिचपुरी
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