कोहरे से फ्लाइट में देरी होने पर यात्रियों को मिलेगा भोजन, उड्डयन मंत्रालय ने एयरलाइंस कंपनियों को दिए सख्त निर्देश
/file/upload/2025/12/1807295824774596745.webpनागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एयरलाइंस कंपनियों के लिए जारी किए सख्त निर्देश।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। घने कोहरे की चादर ने मंगलवार को आइजीआई एयरपोर्ट से संचालित होने वाली उड़ानों पर जबरदस्त असर डाला। देर रात से शाम सात बजे तक आइजीआइ से संचालित होने वाली 118 उड़ानें रद करनी पड़ी। कैट 3 प्रोटोकाल लागू होने से सुस्त पड़े एयर ट्रैफिक के बीच 16 उड़ानों को डाइवर्ट करना पड़ा और करीब 400 उड़ानें विलंबित रहीं।
यात्रियों पर घने कोहरे की मार कम से कम पड़े, इसके लिए बुधवार को नागरिक उड्डयन मंत्रालय भी एक्टिव मोड में रहा। मंत्रालय ने मौसम का हाल देखते हुए सभी एयरलाइंस को निर्देश देते हुए कहा कि वे यात्री सुविधा से जुड़े नियमों का सख्ती से पालन करें। इनमें देरी वाली उड़ानों के यात्रियों के लिए भोजन उपलब्ध कराना, रद उड़ानों के मामले में री-बुकिंग या रिफंड, समय पर चेक-इन के बाद बोर्डिंग से इनकार न करना, सामान की सुविधा और शिकायतों का त्वरित निवारण शामिल है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मंत्रालय ने यात्रियों से अनुरोध करते हुए कहा कि परेशानी से बचने के लिए अपनी उड़ान की स्थिति की जानकारी एयरलाइन से पहले ही ले लें। मंत्रालय अपने एक्स हैंडल पर भी यात्रियों की परेशानी पर संज्ञान लेता नजर आया।
इससे पूर्व दिल्ली एयरपोर्ट संचालन एजेंसी डायल, एअर इंडिया, इंडिगो सहित तमाम एयरलाइंस की ओर से यात्रियों के लिए एडवाइजरी पर एडवाइजरी जारी होती रही। एयरपोर्ट आपरेशंस से जुड़ी जानकारी डायल द्वारा प्रत्येक तीन से चार घंटे के अंतराल पर यात्रियों के लिए जारी होती रही। मंगलवार मध्यरात्रि करीब 12 बजे एयरपोर्ट के सभी रनवे की दृश्यता 300 मीटर से कम हो गई। इसके बाद सुबह छह बजे तक एयरपोर्ट पर कैट 3 प्रोटोकॉल को लागू कर दिया गया। बाद में धीरे धीरे दृश्यता में सुधार होने पर एयरपोर्ट पर उड़ानों का संचालन धीरे धीरे शुरू हुआ।
कैट 3 सुविधा, फिर भी क्यों होता है विलंब, क्यों उड़ानें होती है
कम या शून्य दृश्यता की स्थिति में भी कैट 3 सुविधा उड़ानों के संचालन को संभव बनाता है, लेकिन इसका लाभ तभी लिया जा सकता है, जब एयरक्राफ्ट कैट 3 मशीनरी से लैस हो, साथ ही पायलट कैट 3 संचालन के मामले में पूरी तरह प्रशिक्षित हो। दुखद बात है कि दोनों ही मामले में विमानन कंपनियां कमजोर स्थिति में है। भारतीय एयरलाइंस के बेड़े में अधिकांश एयरक्राफ्ट पुराने हैं, जिनका नवीनीकरण किया जा रहा है। जब तक ऐसा नहीं होता है, तब तक समस्याएं रहेंगी। दूसरी पायलटों के प्रशिक्षण की है।
यही हाल प्रशिक्षित पायलट का भी है। देश में अभी पायलट प्रशिक्षण से जुड़ा एडवांस ढांचा विकसित हो ही रहा है। तीसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि घने कोहरे की समस्या सर्दियों में पूरे उत्तर भारत में रहती है। नियम के तहत घने कोहरे के दौरान उत्तर भारत से जुड़ी उड़ानों का संचालन वही पायलट व को पायलट के हाथों रहेगा, जो कैट 3 में प्रशिक्षित हों। दुर्भाग्य की बात ऐसे पायलट कम होने के कारण उड़ानों को रद करना पड़ता है।
Pages:
[1]