1500 करोड़ के घोटाले में 13 जिलों की रिपोर्ट से विज हैरान, बोले-यह बड़ा फर्जीवाड़ा, CM से विस्तृत जांच की सिफारिश
/file/upload/2025/12/5205335865914366421.webpहरियाणा के श्रम मंत्री अनिल विज।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के श्रम मंत्री अनिल विज ने अपने विभाग में पकड़े गये करीब 1500 करोड़ रुपये के वर्कस्लिप घोटाले को गंभीर बताते हुए कहा कि यह एक बड़ा फर्जीवाड़ा है और इसकी गहन जांच अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि जब उन्होंने श्रम विभाग का कार्यभार संभाला था, तभी उनके सामने यह फर्जीवाड़ा आ गया था। उन्हें पता चला कि एक ही व्यक्ति द्वारा हजारों श्रमिकों का वेरिफिकेशन किया गया, जो किसी भी स्थिति में संभव नहीं है।
पत्रकारों से बातचीत में विज ने बताया कि निर्माण श्रमिकों को सरकार द्वारा अनेक लाभ दिए जाते हैं। उनके बच्चों की पढ़ाई का खर्च पीएचडी तक उठाया जाता है। शादी, बच्चे के जन्म और श्रमिकों की बीमारी की स्थिति में आर्थिक सहायता दी जाती है। इन सभी लाभों के लिए श्रमिकों का पंजीकरण और सत्यापन अनिवार्य है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जब उनके सामने यह तथ्य आया कि एक-एक कर्मचारी द्वारा कई-कई हजार श्रमिकों का सत्यापन किया गया है, तो सबसे पहले तीन जिलों में समरी इंस्पेक्शन कराई गई, जिसमें गड़बड़ी की पुष्टि हुई। इसके बाद प्रदेश के सभी जिलों में जांच कराने का निर्णय लिया गया।
विज के अनुसार श्रम विभाग के पास सीमित स्टाफ होने के कारण सभी जिलों में स्वयं जांच कर पाना संभव नहीं था। इसलिए सभी जिला उपायुक्तों को पत्र लिखकर तीन सदस्यीय समितियां गठित करने और पंजीकृत कामगारों की सूचियों के आधार पर घर-घर जाकर सत्यापन कराने के निर्देश दिए गए।
अब तक 13 जिलों की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है, जबकि नौ जिलों की रिपोर्ट आना शेष है। 13 जिलों में कुल 5 लाख 99 हजार 758 वर्कस्लिप में से केवल 53 हजार 249 वर्कस्लिप वैध पाई गईं, जबकि शेष अवैध हैं। इसी प्रकार 2 लाख 21 हजार 517 पंजीकृत श्रमिकों में से केवल 14 हजार 240 श्रमिक ही वैध पाए गए हैं।
मजदूरों के नाम पर सरकारी लाभ लिए जा रहे
श्रम मंत्री कहा कि इसका स्पष्ट अर्थ है कि जिन मजदूरों के नाम पर सरकारी लाभ लिए जा रहे हैं, वे लाभ वास्तव में कोई और व्यक्ति ले रहा है। अब यह जांच जरूरी है कि ये वर्कस्लिप किसने बनाईं, कब से लाभ लिया जा रहा है, किन-किन लोगों ने लाभ उठाया और किसने इनका सत्यापन किया। जांच में यह मामला और भी बड़ा रूप ले सकता है। इस मामले में मंत्री द्वारा मुख्यमंत्री से विस्तृत जांच की सिफारिश की गई है।
वर्क स्लिप घोटाला ‘लगातार भ्रष्टाचार’ की नीति का जीवंत प्रमाण: दीपेंद्र हुड्डा
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रोहतक के कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने डेढ़ हजार करोड़ रुपये के वर्क स्लिप घोटाले पर चिंता जताते हुए कहा कि यह घोटाला हरियाणा में भाजपा सरकार की ‘लगातार भ्रष्टाचार’ की नीति का जीवंत प्रमाण है। बीजेपी सरकार घोटालों के अपने ही रिकार्ड तोड़कर नया कीर्तिमान स्थापित कर रही है। बीजेपी सरकार में संबंधित विभाग के कैबिनेट मंत्री खुद भ्रष्टाचार की उच्चस्तरीय जांच कराने की बात कह रहे हैं, लेकिन सरकार चुप्पी साधे बैठी है।
11 साल से एक के बाद एक घोटाले कर रही बीजेपी सरकार ने लगातार घोटालेबाजों को बचाया और मामले को दबाया जाता रहा है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में हुए सभी घोटालों की सीबीआइ जांच कराई जाए क्योंकि घोटालेबाजों से बीजेपी सरकार में ऊपर बैठे लोगों की मिलीभगत है। ऐसे में किसी निष्पक्ष केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने से ही दूध का दूध, पानी का पानी अलग होगा।
\“मनरेगा बंदी\“ से लेकर \“घोटालों की हदबंदी\“: सुरजेवाला
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कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य एवं पार्टी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा में \“\“भाजपाई भ्रष्टाचार\“\“ के बुलडोजर ने खुलेआम 1500 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले को अंजाम देकर मज़दूरों का हक कुचल डाला है। इससे पहले राज्य में “चावल घोटाला”, “फ़सल ख़रीद घोटाला”, “कैश फार जाब घोटाला”, “पीपीपी घोटाला”, “छात्रवृति घोटाला” व दर्जनों कई तरह के घोटाले हो चुके हैं।
अब वर्क स्लिप घोटाले में जांच के नाम पर कमेटी-कमेटी खेलने और महाघोटाले से पल्ला झाड़ने व पर्दा डालने का खेल भी शुरू होने वाला है। सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा सरकार के मंत्री खुद मान रहे हैं कि कई जगहों पर तो पूरे के पूरे गांव के लोगों का ही फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन कर, वर्क स्लिप बनवाकर और पेमेंट भुनाकर घोटाला किया गया।
\“मनरेगा बंदी\“ से लेकर \“घोटालों की हदबंदी\“ तक दलितों, पिछड़ों, गरीबों, किसानों और मजदूरों का हक हड़प कर और उन्हें बदहाली में धकेलने की साज़िश ही हरियाणा की भाजपा सरकार की गारंटी है।
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