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Year Ender 2025: कौशल विकास के माध्यम से स्वरोजगार के कदम....हुनरमंद हाथों ने थामी स्वरोजगार की राह

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सांकेतिक तस्वीर।



अशोक केडियाल, जागरण देहरादून: उत्तराखंड के युवाओं को रोजगारोन्मुख बनाने के लिए शिक्षा को कौशल विकास और उद्यमिता से जोड़ने की दिशा में ठोस पहल की जा रही है। स्कूल, कालेज और तकनीकी संस्थानों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को उद्योगों की मांग के अनुरूप प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि वे सरकारी व गैरसरकारी क्षेत्र में रोजगार पा सकें या स्वरोजगार शुरू कर सकें। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

राज्य के आइटीआइ, पालिटेक्निक और इंजीनियरिंग महाविद्यालयों में आधुनिक तकनीक, डिजिटल स्किल्स, स्टार्टअप प्रशिक्षण और अप्रेंटिसशिप कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। उद्योगों के साथ साझेदारी कर छात्रों को व्यावहारिक अनुभव उपलब्ध कराया जा रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि प्रशिक्षित युवा न केवल नौकरी पाने में सक्षम हों, बल्कि उद्यमी बनकर दूसरों को भी रोजगार दें।

इससे राज्य में बेरोजगारी कम होने के साथ आर्थिक गतिविधियों को भी गति मिलेगी। कौशल विकास एवं सेवायोजन मंत्री सौरभ बहुगुणा का कहना है कि टाटा टेक्नोलाजी के साथ हुए एमओयू के तहत राज्य के युवा भारत से बाहर काम करने के योग्य बनेंगे और घरेलू रोजगार-संभावनाओं के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय अनुभव और आमदनी के अवसर भी प्राप्त करेंगे।
युवा ऐसे बनेंगे तकनीकी में दक्ष

[*]राज्य में 21 आइटीआइ सेंटर आफ एक्सीलेंसी के रूप में कार्य कर रहे हैं।
[*]सेलाकुई में 25 करोड़ की लागत से बने सेंटर आफ एक्सीलेंस हब में छात्रों को ट्रेड प्रशिक्षण के अलावा मुफ्त हास्टल और भोजन मिलेगा।
[*]राज्य की आइटीआइ उद्योगों के साथ एमओयू कर रही हैं ताकि छात्र व्यावहारिक प्रशिक्षण उद्योगों में जाकर लें।
[*]राज्य के सभी 71 पालीटेक्निक संस्थानों में पढ़ाई करने वाले छात्रों को कैंपस प्लेसमेंट की सुविधा दी जा रही है।
[*]राज्य की पालीटेक्निकों में इस वर्ष तक 73 प्रतिशत प्लेसमेंट दर पहुंच चुकी है।

राज्य के एमएसएमई उद्योगों को दी जा रही प्राथमिकता

राज्य के 94 हजार उद्योगों में आज साढ़े चार लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है। इन उद्योगों में न केवल स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल रहा है बल्कि स्थानीय संसाधनों को भी प्रयोग किया जा रहा है। एमएसएमई सेक्टर को पहाड़ के युवाओं का स्वरोजगार का मुख्य साधन बने इस पर जोर दिया जा रहा है। इससे पलायन की समस्या का समाधान भी होगा।
रोजगार बढ़ाने की योजनाएं

[*]स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए 200 करोड़ का कार्पस फंड की व्यवस्था की गई है।
[*]इंजीनियरिंग कालेजों को नई तकनीकी से जोड़ने के लिए एआइ व साइबर सिक्योरिटी जैसे विषय संचालित किए जा रहे हैं।

टाटा टेक्नोलाजी युवाओं के लिए विदेश में देगी रोजगार

देश की प्रतिष्ठित कंपनी टाटा टेक्नोलाजी उत्तराखंड के युवाओं को विदेश में रोजगार के अवसर प्रदान करने की जमीन तैयार कर रही है। इससे ग्रामीण युवाओं को भी विदेश में नौकरी मिल सकेगी।

प्रत्येक वर्ष कम से कम 200 युवाओं को विदेश में नौकरी दिलाने का लक्ष्य रखा गया है। कंपनी पहले चरण में राज्य के 13 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआइ) को विश्व स्तरीय बनाएगी। इन संस्थानों में मैकेनिकल, ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन), एडवांस सीएससी मशीनिंग, रोबोटिक और डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग जैसे आधुनिक ट्रेड और टेक्निकल पाठ्यक्रमों में युवाओं को दक्ष बनाकर विदेश में प्लेसमेंट का अवसर देगी।

इसके अतिरिक्त, टाटा टेक्नोलाजी 23 शार्ट टर्म कोर्स भी शुरू करेगी, जिनकी अवधि 270 घंटे से लेकर 390 घंटे होगी। इन पाठ्यक्रमों का उद्देश्य है कि छात्र-छात्राएं कम समय में कुशलता हासिल कर सकें और शीघ्रता से विदेश में नौकरी के लिए तैयार हो सकें।
पहले वर्ष 1600 छात्रों को मिलेगा मौका

चयनित आइटीआइ से अत्याधुनिक प्रशिक्षण लेने वाले इन 13 आइटीआइ के अंतिम वर्ष के 1600 छात्रों को प्लेसमेंट का मौका मिलेगा। जिसमें से कम से कम 450 युवाओं को विदेश में सेवा का अवसर दिया जाएगा।
33 आइटीआइ डुअल ट्रेनिंग माडल से लैस

इस साल से राज्य के 80 में से 33 सरकारी आइटीआइ में डुअल ट्रेनिंग माडल लागू किया गया है। इसका अर्थ है कि पहले साल संस्थान में सिलेबस की पढ़ाई और दूसरे वर्ष उद्योगों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन आइटीआइ में छात्रों को प्रति माह आठ हजार रुपये भत्ता (स्टाइपेंड) मिल रहा है।
चार बड़ी कंपनियां रोजगार देने की राह में

कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग से बजाज आटो, टाटा मोटर्स, हीरो मोटोकाप, हिमालयन पावर मशीनिंग भी सरकार के साथ करार कर चुकी हैं। ये 26 आइटीआइ को अपग्रेड करेंगी

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