नए साल में झारखंड के स्वास्थ्य तंत्र में बदलाव की आहट, बोनमैरो ट्रांसप्लांट से लेकर कैथ लैब की मिलेगी सुविधा
/file/upload/2025/12/3330991529195226569.webpनए साल में झारखंड के स्वास्थ्य तंत्र में बदलाव की आहट।
अनुज तिवारी, रांची। नया साल सिर्फ कैलेंडर बदलने का नाम नहीं होता, बल्कि यह नई उम्मीदों, नई योजनाओं और बेहतर भविष्य की आस लेकर आता है। वर्ष 2026 झारखंड के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए भी कई मायनों में अहम साबित होने वाला है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बीते वर्ष राज्य सरकार, स्वास्थ्य विभाग और न्यायालय के हस्तक्षेप से कई ऐसे निर्णय और योजनाएं सामने आयी, जिनके धरातल पर उतरने से आम मरीजों को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है।
सरकारी अस्पताल में बोनमैरो ट्रांसप्लांट जैसी अत्याधुनिक सुविधा शुरू होने जा रही है, जिससे बड़ी संख्या में रक्त से जुड़ी बीमारियों का यहीं नि:शुल्क इलाज हो सकेगा।
साथ ही हृदय रोगियों के लिए जिला अस्पताल में कैथ लैब खुलने जा रहा है जो गरीबों के लिए वरदान साबित होगा। राजधानी रांची से लेकर सुदूर जिलों तक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, आधुनिक सुविधाओं का विस्तार और इलाज को सुलभ बनाने की दिशा में नए वर्ष में ठोस बदलाव दिख सकते हैं।
रिम्स में नई एमआरआइ मशीन से जांच शुरू होने के बाद गरीबों के इलाज का आर्थिक बोझ कम होगा।
रिम्स से बदलेगी राज्य की स्वास्थ्य तस्वीर
राज्य का सबसे बड़ा और प्रमुख चिकित्सा संस्थान रिम्स (राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान) नए वर्ष में भी स्वास्थ्य सुधार की धुरी बना रहेगा। बीते वर्ष यहां कई सुपर स्पेशिएलिटी सेवाओं का विस्तार हुआ।
न्यूरोसर्जरी, कार्डियोलाजी, कैंसर, ट्रामा और क्रिटिकल केयर सेवाओं को और मजबूत करने की योजना पर काम चल रहा है। नए वर्ष में रिम्स में बेड क्षमता बढ़ाने, आइसीयू सुविधाओं के विस्तार और अत्याधुनिक जांच मशीनें स्थापित करने की उम्मीद है।
इसके साथ ही मरीजों की लंबी प्रतीक्षा सूची को कम करने के लिए ओपीडी और आपरेशन थियेटर की संख्या बढ़ाने की योजना भी चर्चा में है। यदि ये योजनाएं अमल में आती हैं, तो गंभीर मरीजों को बाहर रेफर करने की मजबूरी कम होगी।
सदर अस्पताल बनेगा जिला स्वास्थ्य की रीढ़
राजधानी का सदर अस्पताल पिछले कुछ वर्षों में जिला स्तर के अस्पतालों के लिए एक माडल के रूप में उभरा है। नए वर्ष में सदर अस्पताल में बोनमैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू हो जाएगी, इसे लेकर तैयारियां अंतिम चरण पर है और उम्मीद जतायी जा रही है कि अप्रैल माह से यह सुविधा मरीजों को निश्शुल्क मिलने लगेगी।
साथ ही कैथ लैब का भी यहां संचालन शुरू हो जाएगा, जिसके बाद हृदय रोगियों को सबसे बड़ी राहत मिलेगी। खास बात यह है कि यह दोनों सुविधाएं अभी तक किसी सरकारी अस्पताल में नहीं है।
जबकि बोनमैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा रिम्स जैसे बड़े अस्पताल में भी शुरू नहीं हो सकी है। इसके अलावा सदर में न्यूरोसर्जरी, आर्थोपेडिक्स, स्त्री एवं प्रसूति रोग, बाल रोग और मेडिसिन विभाग को और सशक्त किया जा रहा है।
यहां पहले ही कई आधुनिक जांच सुविधाएं शुरू हो चुकी हैं। आने वाले समय में डायलिसिस, ट्रामा केयर और इमरजेंसी सेवाओं को और मजबूत करने की योजना है, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के मरीजों को रिम्स जाने की जरूरत कम पड़ेगी।
मेडिकल कालेजों से मिलेगा जिलों को लाभ
झारखंड के विभिन्न जिलों में स्थापित मेडिकल कालेज नए वर्ष में स्वास्थ्य व्यवस्था की तस्वीर बदलने की क्षमता रखते हैं। पलामू, दुमका, हजारीबाग, चाईबासा और बोकारो जैसे जिलों में मेडिकल कालेजों की सेवाएं धीरे-धीरे विस्तार ले रही हैं।
उम्मीद है कि 2026 में इन मेडिकल कालेजों में विशेषज्ञ डाक्टरों की नियुक्ति, आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता और ओपीडी सेवाओं का विस्तार होगा। इससे जिला स्तर पर ही गंभीर बीमारियों का इलाज संभव हो सकेगा और मरीजों को रांची की ओर पलायन नहीं करना पड़ेगा।
ब्लड बैंक और रक्त व्यवस्था में सुधार की उम्मीद
बीते वर्ष झारखंड हाईकोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद राज्य की रक्त व्यवस्था पर खास फोकस बढ़ा है। नए वर्ष में सभी जिलों में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट (बीसीएसयू) स्थापित करने की प्रक्रिया तेज होने की उम्मीद है।
यह व्यवस्था तीन माह में पूरा करना होगा। यदि यह योजना समय पर पूरी होती है, तो प्लेटलेट, प्लाज्मा और पैक्ड रेड सेल्स जैसे जरूरी ब्लड कंपोनेंट्स जिला स्तर पर ही उपलब्ध होंगे।
इससे थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया, कैंसर और गंभीर मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। साथ ही स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने से सुरक्षित रक्त उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
मातृ-शिशु स्वास्थ्य पर रहेगा विशेष जोर
नए वर्ष में महिला एवं बाल स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत करने की दिशा में काम होने की उम्मीद है। जननी शिशु सुरक्षा योजना, संस्थागत प्रसव और पोषण कार्यक्रमों के बेहतर क्रियान्वयन से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है।
ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका को और सशक्त करने की योजना है, जिससे गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं तक समय पर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच सकें।
गैर-संचारी रोगों पर बढ़ेगा फोकस
बीपी, शुगर, हृदय रोग, कैंसर और ब्रेन स्ट्रोक जैसे गैर-संचारी रोग झारखंड में तेजी से बढ़ रहे हैं। नए वर्ष में इन बीमारियों की समय पर पहचान और इलाज के लिए स्क्रीनिंग कार्यक्रमों के विस्तार दिया जाना है। जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में नियमित जांच, मुफ्त दवाइयों और जागरूकता अभियानों से आम लोगों को राहत मिलनेगी।
डिजिटल हेल्थ और टेलीमेडिसिन की उम्मीद
राज्य सरकार डिजिटल हेल्थ की दिशा में भी कदम बढ़ा रही है। नए वर्ष में टेलीमेडिसिन सेवाओं का विस्तार होने से दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले मरीज विशेषज्ञ डाक्टरों से परामर्श ले सकेंगे।
आनलाइन पंजीकरण, ई-रिपोर्ट और हेल्थ ऐप्स के माध्यम से इलाज को और आसान बनाने की योजना है, जिससे मरीजों को लंबी कतारों और दलालों से मुक्ति मिल सके।
एंबुलेंस और आपात सेवाओं में सुधार की आस
108 एंबुलेंस सेवा को लेकर बीते वर्ष कई सवाल उठे, लेकिन नए वर्ष में इसके सुदृढ़ीकरण को लेकर सरकार ने तैयारी की है। जिसमें सही काम नहीं करने पर संचालन करने वाली कंपनी को डिबार भी किया जा सकता है।
एंबुलेंस कर्मियों की समस्याओं के समाधान, समय पर भुगतान और सेवा की गुणवत्ता सुधारने से आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत हो सकती हैं।
उम्मीदें बड़ी, चुनौती भी कम नहीं
हालांकि, योजनाएं और घोषणाएं कई हैं, लेकिन असली चुनौती उनके समयबद्ध और प्रभावी क्रियान्वयन की है। डाक्टरों की कमी, संसाधनों का अभाव और प्रशासनिक सुस्ती जैसी समस्याएं अभी भी मौजूद हैं। बावजूद इसके, नए वर्ष में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद पहले से कहीं अधिक मजबूत दिख रही है।
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