दिल्ली का हाल! 67 साल पहले बने ओखला औद्योगिक क्षेत्र में नहीं बदली सीवर लाइन, लोग झेल रहे परेशानी
/file/upload/2025/12/6987347622676652698.webpओखला औद्योगिक क्षेत्र फेस-3 में सीवरेज से ओवरफ्लो होकर सड़क पर बहता पानी। जागरण
सुधीर बैसला, दक्षिणी दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित ओखला औद्योगिक क्षेत्र देश का पहला सबसे छोटा सरकारी औद्योगिक क्षेत्र है। बंटवारे के बाद देश में उद्योग धंधे स्थापित करने की दिशा में यह तत्कालीन सरकार की शुरुआती पहल थी। जब यह क्षेत्र स्थापित हुआ, उस समय जो सीवरेज लाइन डाली गई थी, 67 साल बाद वही सीवरेज लाइन अब भी मौजूद है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
स्थापना समय में कामगारों की संख्या 500 थी। 1990 में जब इसका स्वरूप बदल रहा था, तब 1500 कर्मचारी काम करते थे। निर्माण इकाइयों की जगह इस क्षेत्र में आईटी कार्यालय, सर्विस सेक्टर, कॉल सेंटर और आरएंडडी कॉरपाेरेट ऑफिस है।
वहीं, अब मौजूदा समय में इस क्षेत्र में करीब 15000 कर्मचारी यहां कार्यत है। नतीजतन कार्यालयों से निकलने वाला सीवर का गंदा पानी अक्सर सड़क पर फैल जाता है। मानसून के वक्त तो यहां की हालत पतली हाे जाती है।
125 एकड़ में बसे ओखला फेस-तीन औद्योगिक क्षेत्र से देश के प्रमुख बिजनेसमैन का कारोबार चलता है। इसमें 100, 200, 400 और 500 वर्गगज के प्लाट है। शुरुआती समय में यहां कुछ निर्माण इकाइयां चलती थी। लेकिन 1990 के बाद से यहां निर्माण इकाइयां दूसरी जगहों पर जाना शुरू हुई और धीरे धीरे यह क्षेत्र कारपोरेट बिजनेस का हब बन गया।
पेन निर्माता कंपनी लक्सर के पूर्व एमडी राजन शर्मा ओखला औद्योगिक क्षेत्र एसोसिएशन के प्रधान है। उन्होंने बताया कि बरसात के दिनों में इस क्षेत्र में जलभराव ज्यादा होता है।बरसाती नाला ओवरफ्लो हो जाता है। सभी को परेशानी झेलनी पड़ती है।
दिल्ली जल बोर्ड ने करीब डेढ़ साल यहां सीवरेज लाइन को बदलने का टेंडर जारी किया था, जो सबसे कम निविदा लगाने एक कंपनी ने हासिल किया था। लेकिन शुरुआती रकम न दिए जाने के कारण सीवरेज लाइन बदले जाने का काम शुरू नहीं हुआ।
एसोसिएशन के प्रधान का कहना है कि इस क्षेत्र में 90 क्योस्क भोजन पानी के लिए अलाट किए गए थे लेकिन उनमें से 60 फीसद में डेंटर, पेंटर, मैकेनिक आकर बैठ गए हैं। इस क्षेत्र की सुंदरता को ग्रहण लगा दिया है। जगह-जगह रेहड़ी, ढाबे खुले हुए हैं। एसोसिएशन के प्रधान ने कहा कि वे जल्द ही क्षेत्र की समस्याओं को लेकर एक फिर डीएसआइआइडीसी, एमसीडी व दिल्ली जल बोर्ड अधिकारियों से मिलेंगे।
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क्षेत्र के चौकी प्रभारी राकेश वशिष्ठ बताते हैं कि नगर निगम को अवैध रेहड़ी, ढाबे व डेंटर पेंटर पर कार्रवाई करनी होगी। क्योंकि दूरदराज के कई अवांछनीय लोग यहां होटल, ढाबे पर आते हैं। अपराध घटित होने की संभावना बनी रहती है। उधर, सीवर लाइन के विषय में सुपरवाइजर धर्मेद्र भाटी ने बताया कि पहले जो टेंडर हुआ था, उस पर काम नहीं हो सका। बाकि वरिष्ठ अधिकारीगण ही कुछ कह पाएंगे।
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