Year Ender 2025: वाइब्रेंट व फर्स्ट विलेज बने उत्तराखंड में उम्मीद की किरण, चीन-नेपाल से सटे 91 गांवों पर फोकस
/file/upload/2025/12/8007076263173889261.webpचीन और नेपाल की सीमा से सटे उत्तराखंड के 91 गांव वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में शामिल.Concept Photo
केदार दत्त, देहरादून। देश के रणनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण में तब बड़ा बदलाव आया, जब वर्ष 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित माणा गांव का दौरा किया। तब उन्होंने माणा को देश का प्रथम गांव घोषित किया था। पहले माणा को देश का अंतिम गांव कहा जाता था। यह केवल नाम का बदलाव नहीं, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के प्रति सरकार की प्राथमिकता का संकेत था। इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने सीमावर्ती गांवों के चहुंमुखी विकास के लिए प्रारंभ किया महत्वाकांक्षी वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों के लिए यह कार्यक्रम किसी संजीवनी से कम नहीं है। चीन और नेपाल की सीमा से सटे राज्य के 91 गांव इस कार्यक्रम में शामिल किए किए हैं। चीन सीमा से सटे 51 गांवों में 212 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न योजना संचालित की जा रही हैं, जबकि नेपाल सीमा से लगे गांवों के विकास को कार्ययोजना बनाने को कसरत चल रही है। यही नहीं, अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे अन्य गांवों के विकास के लिए मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के प्रथम चरण में केंद्र सरकार ने इसमें चीन सीमा से सटे गांवों को शामिल किया। चूंकि, उत्तराखंड के तीन जिलों पिथौरागढ़, चमोली व उत्तरकाशी की लगभग 345 किलोमीटर की सीमा चीन से लगती है, ऐसे स्वाभाविक रूप से यहां के 51 गांव सम्मिलित किए गए। अब वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम 2.0 में नेपाल सीमा से सटे चंपावत, पिथौरागढ़ व ऊधम सिंह नगर जिलों के 40 गांव सम्मिलित किए गए हैं।
चीन सीमा से सटे गांवों में 10 थीम पर कार्य
वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में शामिल चीन सीमा से सटे गांवों को जीवंत बनाने के लिए 10 थीम पर आधारित कार्य हो रहे हैं। इनमें आजीविका विकास, आधारभूत ढांचा, पानी, बिजली, सड़क, संचार, पर्यटन, होम स्टे, कृषि-उद्यान जैसे बिंदु शामिल हैं। इन गांवों के विकास के लिए वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम व कन्वर्जंस के माध्यम से 523 कार्य स्वीकृत किए गए हैं। इनमें वाइब्रेंट विलेज के 161 और कन्वर्जंस के 362 कार्य हैं। इनकी कुल लागत 520.13 करोड़ रुपये है। केंद्र सरकार ने प्रथम चरण में 212 करोड़ रुपये की 179 योजनाओं को स्वीकृति दी और ये कार्य चल रहे हैं। इसके अलावा पिथौरागढ़ जिले के वाइब्रेंट विलेज में शामिल गांवों के लिए पीएमजीएसवाई में पांच सड़कें स्वीकृत की गई हैं।
इन गांवों के लिए जल्द बनेगी कार्ययोजना
नेपाल सीमा से सटे राज्य के जिन 40 गांवों को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया है, उनका सर्वेक्षण चल रहा है। इसके आधार पर वहां के विकास के लिए कार्ययोजना तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी जाएगी। इन गांवों को सरसब्ज बनाने के लिए भी वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम प्रथम की तर्ज पर योजनाएं बनेंगी। साथ ही इन गांवों का आल वेदर रोड, फोर-जी संचार सुविधा, टेलिविजन कनेक्टिविटी और ग्रिड से बिजली आपूर्ति से संतृप्त किया जाना है।
सीमावर्ती गांवों का जीवंत रहना जरूरी
उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में देखें तो यहां के गांव पलायन का दंश झेल रहे हैं। जबकि, अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों का खाली होना किसी भी दशा में उचित नहीं ठहराया जा सकता। कारण यह कि सीमा पर होने वाली किसी भी प्रकार की गतिविधि की जानकारी स्थानीय निवासियों से ही सुरक्षा एजेंसियों को मिलती है।
यानी, सीमावर्ती गांवों के लोग सुरक्षा प्रहरी की भूमिका भी निभाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि सीमावर्ती गांव जीवंत रहे और यह तभी होगा, जब वहां लोग रहेंगे। इसी के दृष्टिगत वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में इन गांवों को सरसब्ज बनाने के साथ ही आजीविका विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। साथ ही इन्हें पर्यटन के माडल ग्राम के रूप में भी विकसित करने की योजना है, ताकि वहां वर्षभर चहल-पहल रहे।
वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में शामिल गांव
[*]जिला, संख्या
[*]पिथौरागढ़, 51
[*]चमोली, 14
[*]चंपावत, 11
[*]उत्तरकाशी, 10
[*]ऊधम सिंह नगर, 05
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