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Year Ender 2025: यमुना एक्सप्रेसवे पर हादसों ने दिए गहरे जख्म, टूट गए कई परिवारों के सपने

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जली बस।



जागरण संवाददाता, मथुरा। वर्ष 2025 में यमुना एक्सप्रेसवे ने ऐसा दर्द दिया, जिसे शायद ही कोई भुला सके। बलदेव क्षेत्र में हुए दर्दनाक सड़क हादसे में 18 लोगों की मृत्यु ने न केवल कई परिवारों के सपनों को हमेशा के लिए तोड़ दिया, बल्कि एक बार फिर महंगे टोल के बाद भी यमुना एक्सप्रेसवे पर खोखली सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जाते-जाते यह वर्ष आंसुओं, सिसकियों और अधूरे रह गए रिश्तों की टीस छोड़ गया। यमुना एक्सप्रेसवे में 20 जुलाई को भी एक हादसे ने एक परिवार के पांच लोगों समेत छह लोगों की जान चली गई। वहीं गोविंद नगर क्षेत्र का माया टीला हादसा भी परिवार को कभी न भरने वाला जख्म दे गया।
2025 में एक्सप्रेस पर 60 से अधिक हादसों में अब तक 65 की मृत्यु

मथुरा जिले के छह थानों की सीमा में करीब 75 किमी के दायरे में यमुना एक्सप्रेसवे गुजरता है। प्राधिकरण की ओर से सबसे महंगा टोल वसूला जाता है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर यात्रियों को कुछ नहीं दिया जा रहा है। घोषित किए गए ब्लैक स्पाट स्थानों पर हादसों को रोकने के लिए साइन बोर्ड, रिफ्लेक्टर, सड़क पर सफेद पट्टी की लेन, स्पीड लिमिट, ब्लैक स्पाट का बोर्ड का अभाव है।
19 जुलाई को हादसे में एक ही परिवार के पांच समेत छह ने गंवाई थी जान

19 जुलाई को बलदेव थाना क्षेत्र के माइल स्टोन 140 पर तेज रफ्तार ईको आगे चल रहे ट्रक में घुस गई थी। इसमें आगरा के बासौनी थाना क्षेत्र के गांव हरलालपुरा निवासी धर्मवीर सिंह, उनके बेटे रोहित, आर्यन, भांजे दलवीर, पार्थ और बेटे के दोस्त दुष्यंत की मृत्यु हो गई थी। इसके कुछ घंटे बाद ही माइल स्टोन 131 पर तेज रफ्तार स्लीपर कोच बस अनियंत्रित होकर पलट गई थी। इसमें 50 से अधिक यात्री घायल रहो गए। इन हादसों के बाद भी सबक नहीं लिया गया।

वर्ष के अंत में 15 दिसंबर को घने कोहरे में 11 वाहनों की भिड़ंत हो गई। इसमें आठ बसें व एक कार जलकर खाक हो गई। हादसे में 19 लोगों की जिंदा जलकर मृत्यु हो गई। कई अभी भी लापता हैं।
कोहरे में नहीं थे इंतजाम

हादसे के वक्त एक्सप्रेसवे पर कोहरा छाया हुआ था। दृश्यता बेहद कम थी, लेकिन इसके बावजूद न तो पर्याप्त चेतावनी संकेत थे और न ही रिफ्लेक्टर या फ्लैश लाइट्स की व्यवस्था। तेज रफ्तार वाहनों के बीच अचानक हुए टकराव ने कुछ ही पलों में खुशियों को मातम में बदल दिया। सड़क पर बिखरे शव, क्षतिग्रस्त वाहन और चीख-पुकार की आवाजें उस मंजर को बयां कर रही थीं। 18 की मृत्यु से रूह तक कांप उठी। इसे देखकर हर आंख नम हो गई।
हादसे के बाद सात दिन अपनों के शव का इंतजार

हादसे में जान गंवाने वालों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे। कोई शादी से लौट रहा था, तो कोई रोज़गार की तलाश में सफर पर था। हादसे के बाद जब शवों की पहचान के लिए स्वजन पहुंचे, तो अपनों को देखकर भी यकीन नहीं कर पा रहे थे कि अब वे कभी लौटकर नहीं आएंगे। कई शव इतनी बुरी हालत में थे कि डीएनए जांच के बाद ही पहचान संभव हो सकी। सात-सात दिन तक उम्मीद लगाए बैठे स्वजन को जब अपनों के शव सौंपे गए, तो दिल रो पड़ा, आंखों से आंसू भी सूख चुके थे।
सुरक्षा की मिलनी चाहिए पहली प्राथमिकता

वर्ष 2025 विदा हो चुका है, लेकिन जाते-जाते वह मथुरा को एक गहरा जख्म दे गया। यमुना एक्सप्रेसवे पर बिखरा यह दर्द सिर्फ 18 मृत्यु का आंकड़ा नहीं, बल्कि सिस्टम की लापरवाही का आइना है। अब सवाल यह है कि क्या आने वाला वर्ष इन गलतियों से सबक लेगा, या फिर किसी और परिवार को अपने अपनों को खोने का दर्द सहना पड़ेगा।
माया टीला हादसे में दो सगी बहनों समेत तीन की हुई थी मृत्यु

15 जून को अवैध तरीके से मिट्टी खोदाई के दौरान माया टीला धंसने से दो सगी बहनों समेत तीन की दबने से मृत्यु हो गई थी। लोगों ने जाम लगाकर प्रदर्शन किया था। पुलिस ने मिट्टी खनन कराने वाले चांदी कारोबारी सुनील गुप्ता पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। इसके बाद उसे व ठेकेदार पप्पू को गिरफ्तार किया गया था। इस हादसे में 11 परिवार बेघर हो गए थे।
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