अलविदा 2025: औरैया में स्वास्थ्य सेवाओं में नहीं हो सका सुधार, अस्पतालों के हालत पहले जैसे
/file/upload/2025/12/6253581429940147318.webpजागरण संवाददाता, औरैया। सरकार द्वारा क्षेत्र की महिलाओं के स्वास्थ्य हित में पांच करोड़ 50 लाख की लागत से कस्बा में 50 शैय्या मातृ शिशु अस्पताल को बनवाया गया। चार नवंबर 2021 को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने वर्चुअल अस्पताल का लोकार्पण किया। चार साल बीत जाने के बाद 2025 में भी मिलने वाली सुविधाएं नहीं मिलीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
व्यवस्थाओं को सुधरने की राह मरीज देखते रहे। प्रसूताओं को लिफ्ट की सुविधा नहीं मिल सकी। इसके अलावा आपातकालीन में फायर सिस्टम भी खराब पडॉ. है। अस्पताल में कई महीने पूर्व अल्ट्रासाउंड मशीन को अपडेट कर दिया गया था, लेकिन उसके लिए रेडियोलाजिस्ट न होने के कारण मरीजों को प्राइवेट या फिर दूसरे शहर के अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर जाना पडॉ.।
यह दौड़ खत्म नहीं हुई। अब उम्मीद वर्ष 2026 से लगी है। लोगों का कहना है कि अस्पताल शुरू होने से आज तक मेनगेट का ताला नहीं खुल सका है। यहां पर मरीजों के लिए सिर्फ एक छोटे से गेट से आने और जाने का रास्ता है। अस्पताल में गेट भी टूटे पड़े हैं।
अस्पताल मे खून जांच की सुविधा होने के बाद भी प्राइवेट सेंटरों से खून की जांच कराने के लिए भेजा जाता है। इसके अलावा आपरेशन के लिए अस्पताल में पर्याप्त संसाधन नहीं है। आपरेशन के दौरान दवाइयों व उपकरणों को कस्बा के प्राइवेट अस्पतालों से मंगवाया जाता है।
सीएमओ डॉ. सुरेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि कमियों को दुरुस्त कराने के लिए पत्राचार कर दिया गया है। बजट आने पर सभी कमियों को दुरुस्त कराया जाएगा।
50 शैय्या मातृ शिशु अस्पताल में कमियां
दीवारों के टाइल्स टूट गए। लिफ्ट मशीन खराब है। फायर मशीन की मोटर खराब पड़ी है। फायर पाइप के अलावा अलार्म मशीन खराब है। आपरेशन के दौरान ब्लड बैंक की सुविधा की कमी। आपरेशन के दौरान कई दवाएं व उपकरण प्राइवेट अस्पताल संचालकों से मंगाए जाते हैं। तीसरी मंजिल पर तीमारदारों के लिए बना शौचालय की छत पर बनी फाल सीलिंग भी टूट चुकी है।
स्टाफ की कमी के कारण परेशानी
बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कृपाराम एक सप्ताह में तीन दिन सिर्फ इमरजेंसी के मरीजों को देखते है।ऐसे में 50 शैय्या अस्पताल में बच्चे का चिकित्सक न होने से परेशानी होती है।वही अल्ट्रासाउंड मशीन के लिए अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट न होने से मरीजों को बाहर अल्ट्रासाउंड करवाने पड़ रहे हैं।
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