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Malmas 2026: नए साल में 13 महीनों का होगा साल? 2 महीने तक रहेगा मलमास, जानें क्या है इसका दुर्लभ संयोग

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Malmas 2026: क्यों होता है 13 महीनों का साल?



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू कैलेंडर और ज्योतिष गणना के अनुसार, आने वाला साल 2026 धार्मिक और खगोलीय दृष्टि से बेहद अनोखा होने वाला है। आमतौर पर एक साल में 12 महीने होते हैं, लेकिन साल 2026 में महीनों की संख्या बढ़कर 13 हो सकती है। इसका मुख्य कारण है \“मलमास\“, जिसे \“पुरुषोत्तम मास\“ या \“अधिक मास\“ भी कहा जाता है। इस बार का संयोग इसलिए दुर्लभ है क्योंकि माना जा रहा है कि 2026 में मलमास की अवधि लगभग 2 महीने तक खिंच सकती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
क्यों होता है 13 महीनों का साल?

हिंदू पंचांग सूर्य और चंद्रमा की गति पर आधारित होता है। सौर वर्ष (Solar Year) 365 दिन और लगभग 6 घंटे का होता है, जबकि चंद्र वर्ष (Lunar Year) 354 दिनों का होता है। इन दोनों के बीच हर साल लगभग 11 दिनों का अंतर आ जाता है। तीन साल में यह अंतर 33 दिनों का हो जाता है। इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीसरे साल एक अतिरिक्त महीना जोड़ा जाता है, जिसे मलमास कहते हैं।
2026 का दुर्लभ संयोग, 2 महीने का मलमास?

शास्त्रों में मलमास को \“पुरुषोत्तम मास\“ कहा गया है। क्योंकि, भगवान विष्णु ने इसे अपना नाम दिया है। साल 2026 में गणना के अनुसार, मलमास की स्थिति कुछ ऐसी बन रही है कि यह सामान्य से अधिक लंबा हो सकता है। जब एक ही चंद्र मास के भीतर सूर्य की संक्रांति (सूर्य का राशि परिवर्तन) नहीं होती, तो वह महीना \“अधिक मास\“ कहलाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, 2026 में ग्रहों की विशेष चाल के कारण मांगलिक कार्यों पर लंबे समय तक विराम लगा रहेगा।
मलमास में क्या करें और क्या न करें?

क्या ना करें: इस दौरान विवाह, मुंडन, जनेऊ, गृह प्रवेश और नए व्यापार की शुरुआत जैसे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। माना जाता है कि इस समय किए गए शुभ कार्यों का फल पूरी तरह से नहीं मिलता है।

क्या करें: यह समय आध्यात्मिक शुद्धि का है। दान-पुण्य, तीर्थ यात्रा, श्रीमद्भागवत कथा का सुनें। साथ ही, भगवान विष्णु की उपासना के लिए यह समय सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस मास में दीपदान करने का भी विशेष महत्व है।
महत्व

भले ही सांसारिक दृष्टि से मलमास में शुभ कार्य रुके रहते हैं, लेकिन आध्यात्मिक उन्नति के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। 2026 का यह दुर्लभ संयोग भक्तों को भक्ति और ध्यान के लिए अतिरिक्त समय प्रदान करेगा।

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