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ठंड ने छीनी मासूम की जिंदगी, निमोनिया से 3 साल के श्रेयांश की मौत, मेडिकल कॉलेज में 5 बच्चे भर्ती, दो की हालत गंभीर

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जागरण संवाददाता, एटा। लगातार बढ़ रही ठंड और गलन अब बच्चों की सेहत पर भारी पड़ने लगी है। मंगलवार देर शाम सर्दी और निमोनिया की चपेट में आकर तीन वर्षीय मासूम की मौत हो गई। तबीयत बिगड़ने पर स्वजन बच्चे को मेडिकल कालेज की इमरजेंसी लेकर पहुंचे थे, लेकिन चिकित्सकों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। मासूम की मौत से परिवार में कोहराम मच गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

शहर के मुहल्ला मिश्राना निवासी संदीप सिंह के तीन वर्षीय पुत्र श्रेयांश की मौत निमोनिया के कारण हुई है। परिजनों के अनुसार बीते तीन दिनों से ठंड अधिक बढ़ने के चलते बच्चे को सर्दी जुकाम के साथ सांस लेने में परेशानी हो रही थी। उसे एक निजी क्लीनिक पर दिखाया गया, जहां चिकित्सक ने निमोनिया होने की बात बताई और इलाज शुरू किया गया।

मंगलवार शाम बच्चे की हालत अचानक बिगड़ गई। मां का दूध पीते समय ही उसकी सांस फूलने लगी। घबराए स्वजन तत्काल उसे मेडिकल कालेज लेकर पहुंचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। चिकित्सकों ने बताया कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही बच्चे की सांसें थम चुकी थीं।

सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी

उधर, ठंड बढ़ने के साथ ही जिले में बच्चों में सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मेडिकल कालेज के पीडियाट्रिक वार्ड में निमोनिया और सांस लेने में दिक्कत के चलते पांच बच्चों को भर्ती कराया गया है। इनमें से दो बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है, जिन्हें एसएनसीयू में आक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। चिकित्सकों की टीम लगातार निगरानी कर रही है और आवश्यक उपचार दिया जा रहा है।

पीडियाट्रिक विभागाध्यक्ष एवं बाल रोग विशेषज्ञ डा. एबी सिंह ने बताया कि सर्दी और कोहरे के मौसम में छोटे बच्चे जल्दी संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। इस दौरान सर्दी जुकाम, बुखार और निमोनिया का खतरा अधिक रहता है। ठंडी हवा से बच्चों की सांस नली प्रभावित होती है, जिससे स्थिति गंभीर हो सकती है। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि बच्चों को ठंड से बचाएं, उन्हें गर्म कपड़े पहनाएं और खुले में ठंडी हवा से दूर रखें।

बाल रोग विशेषज्ञ डा. रिषभ सक्सेना का कहना है कि कई बार स्वजन शुरुआती लक्षणों को सामान्य सर्दी समझकर लापरवाही बरत देते हैं, जो आगे चलकर जानलेवा साबित हो सकती है। यदि बच्चे को तेज बुखार, सांस लेने में परेशानी, सुस्ती या दूध पानी पीने में दिक्कत हो तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
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