ढोल-नगाड़े, अबीर-गुलाल...क्या दरभंगा को पहली बार मिला भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का ताज?

deltin33 18 hour(s) ago views 917
  

मिठाई खिलाकर एक-दूसरे को बधाई देते भाजपा कार्यकर्ता। जागरण  



मुकेश कुमार श्रीवास्तव, दरभंगा। दरभंगा नगर से लगातार छठी बार विधायक बने संजय सरावगी के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने से कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है। ढोल-नगाड़े और अबीर-गुलाल से पूरा शहर देर शाम तक पटा रहा।

मिथिलांचल की हृदयस्थली दरभंगा को यह सौभाग्य पहली बार प्राप्त हुआ है। दरभंगा शहर के गांधी चौक, बड़ा बाजार निवासी संजय सरावगी का प्रदेश अध्यक्ष बनना उनके जमीनी स्तर के अनुभव, लगातार चुनावी सफलता, सामुदायिक प्रतिनिधित्व और पार्टी के प्रति अटूट वफादारी का परिणाम बताया जा रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

संगठन में बड़ा दायित्व मिलने की चर्चा, सरकार में उन्हें मंत्री नहीं बनाए जाने के बाद से होने लगी थी। लेकिन, किसी को यह विश्वास नहीं था कि एक साधारण और सामान्य कार्यकर्ता को पार्टी इतनी बड़ी जवाबदेही दे देगी। सरावगी अपने परिवार में राजनीति क्षेत्र में इकलौते सदस्य हैं ।

यही कारण है कि पार्टी तो पार्टी, विपक्षी दल के कार्यकर्ता भी इंटरनेट मीडिया पर भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष संजय सरावगी को बधाई दे रहे हैं। लिखते हैं, यह कार्यकर्ताओं की पार्टी है, यह साबित हो गया। बताया जा रहा कि संगठन का यह निर्णय संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने और आगामी राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने की रणनीति को सफल करने में कारगर साबित होगा।

एक व्यक्ति, एक पद, की नीति पर उनकी नियुक्ति हुई। इसलिए उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया और पार्टी ने संगठनात्मक जिम्मेदारी के लिए उन्हें चुना। उनकी नियुक्ति के पीछे की अंतर्निहित कहानी उनके लंबे राजनीतिक करियर, वैश्य (मारवाड़ी) समुदाय होने और पार्टी के प्रति वफादारी में निहित है।

वैश्य समुदाय की आबादी पूरे बिहार में 27 प्रतिशत है। मिथिलांचल और कोशी क्षेत्र में इनका प्रभावशाली वोट है। जो भाजपा का मुख्य वोट बैंक माना जाता है।

सरावगी के माध्यम से भाजपा ने इस महत्वपूर्ण वोट बैंक को संतुष्ट करने और मिथिलांचल और कोशी क्षेत्र में अपने प्रभाव को और मजबूत करने का लक्ष्य रखा है। दरअसल, पार्टी के भीतर उनकी छवि साफ-सुथरे के साथ संगठन में काम करने का अच्छा अनुभव रहा है।

  

शीर्ष नेतृत्व के समर्थन में नारेगाजी करते कार्यकर्ता।
वार्ड पार्षद से शुरू हुई जनप्रतिनिधि बनने की पारी

संजय सरावगी के परदादा जय दयालजी सरावगी राजस्थान के सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ निवासी थे, जो दरभंगा में व्यवसाय करने दौरान यहां के स्थायी वासी हो गए। सरावगी के दादाजी विश्वेरलाल सरावगी और पिताजी परमेश्वर सरवगी का जन्म दरभंगा में हुआ।

दो भाई में बड़े संजय सरावगी का जन्म 28 अगस्त 1969 को हुआ। खगड़िया जिले के गोगरी जमालपुर में उनका ननिहाल है। जहां उनका बचपन भी बिता और प्राथमिक शिक्षा भी प्राप्त की।
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