विधायक Savitri Devi के दावों की खुली पोल! रात में दर्द से कराहती रही मासूम, अस्पताल में नहीं मिली दवा

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दो साल की निधि कुमारी अपनी मां नेहा कुमारी। फोटो जागरण  



संवाद सूत्र, चंद्रमंडी (जमुई)। सप्ताह भर पहले विधायक सावित्री देवी ने न सिर्फ अस्पताल की तारीफ की थी, बल्कि अपना इलाज भी कराया था। अब सोमवार की रात अस्पताल की पूरी व्यवस्था को कठघरे में खड़ा करने का मामला सामने आया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यहां रात 11:30 बजे दो साल की मासूम पेट दर्द से कराहती रही, लेकिन उसे दर्द निवारण दवा नहीं मिल सकी। वजह दवा नहीं थी, या दवा देने वाले उपलब्ध नहीं थे, यह तो जिम्मेवार ही जाने, लेकिन अब बचाव की कवायद शुरू हो गई है।

ऑन ड्यूटी चिकित्सक खुद के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग का बचाव करते दिख रहे हैं। चिकित्सक कह रहे हैं कि दवा तो उपलब्ध था, लेकिन उस क्रिटिकल कंडीशन में वह अस्पताल में उपलब्ध दवा को नहीं दे सकते थे। चाइल्ड स्पेशलिस्ट चिकित्सक का यह बयान व्यवस्था को कठघरे में खरा कर रहा है।

दरअसल, सोमवार की रात करीब 11:30 बजे चकाई प्रखंड के परांची पंचायत अंतर्गत गादी गांव की दो साल की निधि कुमारी अपनी मां नेहा कुमारी और फूफा रोहित कुमार राय के साथ पेट दर्द की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंची।
स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही आई सामने

अभिभावक रोहित कुमार ने बताया कि अस्पताल का गार्ड अंदर सोया हुआ था। आवाज देने पर वह जगा। अंदर कमरे में एक नर्स बैठी थी। उसने तीन मंजिला बिल्डिंग पर मौजूद रहे आन ड्यूटी चिकित्सक को बुलाया।

इसके बाद अस्पताल का पुर्जा काटा, लेकिन चिकित्सक द्वारा बताया गया कि कोई दवा नहीं है। दवा देने का अनुरोध किया तो उन्होंने कहा कि बच्चे की कोई दवा उपलब्ध नहीं है।

पीड़ित ने बताया कि जब मैंने इस बात को लिखित में देने का आग्रह किया तो उन्होंने पुर्जा पर दवा लिख दिया और रेफर कर दिया, तब जाकर गांव के एक निजी ग्रामीण चिकित्सक से इलाज कराकर दवा ली, जिसके बाद बच्ची को राहत मिली।
अस्पताल की व्यवस्था पर उठे सवाल

लगभग आधे घंटे से अधिक समय तक हम लोग अस्पताल में ही दवा के इंतजार में रहे और बच्ची दर्द से परेशान रही। निधि के अभिभावक ने कहा कि जब अस्पताल में बच्चों के लिए दवा ही नहीं है तो फिर अस्पताल का क्या मतलब है? अगर रात में किसी बच्चे की तबीयत खराब हो जाए तो फिर क्या होगा?

इधर, मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। मालूम हो कि एक सप्ताह पहले चकाई विधायक सावित्री देवी ने अस्पताल का निरीक्षण कर अस्पताल की व्यवस्था पर न सिर्फ संतुष्टि जाहिर की थी, बल्कि उन्होंने अपना इलाज भी कराया था। अब मामला सामने आने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं।


इलाज के लिए जो बच्ची आई थी, उसके लिए इमरजेंसी दवाई उपलब्ध थी, वह उसे रात का समय होने के कारण नहीं दिया जा सकता था। इसलिए मैंने दवा नहीं दिया। उस दवा का साइड इफैक्ट भी हो सकता था। इसलिए मैंने उसे रेफर कर दिया। दिन रहता तो जरूर दवा दे देता। छोटी बच्ची थी, इसलिए इंजेक्शन भी नहीं दे सकता था, क्योंकि जोखिम ज्यादा था। अस्पताल में सिरप उपलब्ध नहीं था। -प्रतीक प्रिय, आन ड्यूटी चिकित्सक, रेफरल अस्पताल, चकाई

मुझे इस मामले की जानकारी नहीं है। जानकारी मिली है तो इस मामले को देखते हैं। लोगों को अधिक से अधिक सुविधा देना हम लोगों का प्रयास है। आगे से इस तरह की शिकायत नहीं मिले, इसका ध्यान रखा जाएगा। -नवनीत चौरसिया, स्वास्थ्य प्रबंधक, चकाई
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