सांकेतिक तस्वीर
संवाद सहयोगी, लखीसराय। जिले में आवारा कुत्तों का आतंक दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। हालात इतने भयावह हो चुके हैं कि बच्चों का घर से बाहर निकलना तक मुश्किल हो गया है। इसके बावजूद नगर प्रशासन और पशुपालन विभाग की निष्क्रियता लोगों की परेशानी और बढ़ा रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आंकड़े बताते हैं कि जनवरी 2025 से नवंबर 2025 तक बीते 11 महीनों में आवारा कुत्तों ने जिले के 6,070 लोगों को काटकर घायल किया है। वहीं वर्ष 2024 में भी आवारा कुत्तों के काटने से 11,226 लोग जख्मी हो चुके हैं।
शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक अनगिनत आवारा कुत्ते खुलेआम सड़कों पर घूमते नजर आते हैं और मौका मिलते ही लोगों पर हमला कर देते हैं। खासकर गर्मी और बरसात के मौसम में इनका आतंक और बढ़ जाता है। इससे आमजन, खासकर बच्चे और बुजुर्ग, भय के साये में जीवन जीने को मजबूर हैं।
नगर परिषद अधिनियम के अनुसार, आवारा कुत्तों पर नियंत्रण के लिए कांजी हाउस, प्रशिक्षित कर्मचारी, विशेष वाहन, जाल, जंजीर और मेडिकल किट की व्यवस्था अनिवार्य है। लेकिन लखीसराय, बड़हिया और सूर्यगढ़ा नगर परिषदों के पास इनमें से एक भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। पशुपालन विभाग की स्थिति भी इससे अलग नहीं है।
विभाग के पास जिले में आवारा कुत्तों की संख्या का कोई आधिकारिक आंकड़ा तक मौजूद नहीं है। विडंबना यह है कि अब तक केवल पालतू कुत्तों की ही गणना की जाती रही है। वर्ष 2024 में जिले में 242 पालतू कुत्ते दर्ज थे, जबकि आवारा कुत्तों का कोई रिकार्ड नहीं रखा गया।
गौरतलब है कि अगस्त माह में सुप्रीम कोर्ट ने सभी नगर निकायों को आवारा कुत्तों को पकड़कर डाग सेंटर (आश्रय गृह) में रखने का सख्त आदेश दिया था। बावजूद इसके, जिले के नगर परिषदों और जनप्रतिनिधियों पर इस आदेश का कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है।
जिम्मेदारों के बयान
नगर परिषद लखीसराय के कार्यपालक पदाधिकारी रमण कुमार ने कहा कि आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने के लिए शीघ्र ही व्यवस्था की जाएगी। नगर परिषद की बैठक में प्रस्ताव लाकर इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
वहीं जिला पशुपालन पदाधिकारी राजेश कुमार त्रिवेदी ने बताया कि आवारा कुत्तों को पकड़कर डाग सेंटर में रखने की जिम्मेदारी नगर प्रशासन की है। नगर प्रशासन की मांग पर डाग सेंटर में रखे गए कुत्तों का टीकाकरण और बंध्याकरण पशुपालन विभाग द्वारा कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि आवारा कुत्ते इधर-उधर घूमते रहते हैं, इसलिए उनकी सटीक गणना कर पाना संभव नहीं है। |