कंपकंपाती ठंड में फर्श बना छात्रों की सीट
संवाद सूत्र आमस(गयाजी)।आमस प्रखंड क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय राजपुर में शिक्षा ग्रहण कर रहे नौनिहाल इन दिनों बेहद कठिन परिस्थितियों में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। कड़ाके की ठंड के बीच स्कूल में बेंच-डेस्क की व्यवस्था नहीं होने के कारण छात्रों को फर्श पर बैठकर पढ़ना पड़ रहा है। कंपकंपाती ठंड में ठंडे फर्श पर घंटों बैठना बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
स्थानीय लोगों के अनुसार, ठंड का असर सबसे ज्यादा छोटे बच्चों पर पड़ता है। सुबह-सुबह जब बच्चे स्कूल पहुंचते हैं, तब ठंडी हवा और फर्श की ठंड उनके शरीर को सीधे प्रभावित करती है।
फर्श पर बैठकर पढ़ाई करने से बच्चों को सर्दी-खांसी, बुखार और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अभिभावकों का कहना है कि सरकार एक ओर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बच्चों के बेहतर भविष्य की बात करती है, वहीं दूसरी ओर बुनियादी सुविधाओं का अभाव बच्चों की पढ़ाई में बाधा बन रहा है।
विद्यालय के प्रधान शिक्षक सुनील कुमार ने बताया कि स्कूल में बेंच-डेस्क नहीं होने के कारण छात्रों को फर्श पर बैठाकर पढ़ाना मजबूरी बन गया है।
उन्होंने कहा कि विद्यालय में करीब एक सौ छात्र नामांकित हैं, लेकिन उनके बैठने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। कई बार विभाग से बेंच उपलब्ध कराने की मांग की गई, लिखित और मौखिक रूप से भी संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया गया, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई है।
प्रधान शिक्षक ने यह भी बताया कि ठंड के मौसम में बच्चों को फर्श पर बैठाना उन्हें खुद भी उचित नहीं लगता, लेकिन विकल्प न होने के कारण ऐसा करना पड़ रहा है।
यदि विद्यालय को बेंच-डेस्क उपलब्ध करा दिया जाए तो बच्चों को पढ़ाई में सुविधा मिलेगी और वे स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से भी बच सकेंगे।
विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों ने भी अपनी परेशानी जाहिर की। बच्चों का कहना है कि ठंड में फर्श पर बैठने से पैर और शरीर सुन्न हो जाते हैं, जिससे पढ़ाई में मन नहीं लगता।
कई बार ठंड के कारण बच्चे बीमार भी पड़ जाते हैं, जिससे उनकी उपस्थिति प्रभावित होती है। इससे उनकी पढ़ाई पर सीधा असर पड़ रहा है।
अभिभावकों में भी इस स्थिति को लेकर नाराजगी देखी जा रही है। उनका कहना है कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ इस तरह की लापरवाही उचित नहीं है।
उन्होंने मांग की कि जल्द से जल्द विद्यालय को बेंच-डेस्क उपलब्ध कराए जाएं, ताकि बच्चों को सम्मानजनक और सुरक्षित वातावरण में पढ़ाई करने का अवसर मिल सके।
शिक्षा के अधिकार कानून और सरकारी योजनाओं में विद्यालयों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कही जाती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग नजर आ रही है।
प्राथमिक विद्यालय राजपुर की स्थिति इस बात का उदाहरण है कि आज भी कई विद्यालयों में मूलभूत संसाधनों की कमी बनी हुई है।
अब देखना यह है कि शिक्षा विभाग इस गंभीर समस्या पर कब ध्यान देता है और कब तक बच्चों को ठंडे फर्श से राहत मिल पाती है। फिलहाल ठंड के इस मौसम में मासूम छात्र फर्श को ही अपनी सीट मानकर पढ़ाई करने को विवश हैं। |