रितेश द्विवेदी, कानपुर। शहर की यातायात व्यवस्था को बड़ी राहत देने वाली गोल चौराहे से रामादेवी तक प्रस्तावित एलीवेटेड रोड परियोजना को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से सैद्धांतिक सहमति मिल गई है। जिसके बाद पीडब्ल्यूडी एनएच के इंजीनियर निर्माण शुरू करने से पहले औपचारिकताओं को पूर्ण करने में जुट गए हैं। पीडब्ल्यूडी एनएच ने एलीवेटेड रोड निर्माण के लिए वन एवं पर्यावरण के साथ ही रेल मंत्रालय की एनओसी लेने के लिए आवेदन कर दिया है। रेल मंत्रालय की एनओसी के लिए पांच लाख रुपये की फीस जमा की गई है, जबकि वन विभाग का एस्टीमेट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एलीवेटेड रोड परियोजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को अंतिम स्वीकृति दिलाने की दिशा में प्रक्रिया तेज हो गई है। पीडब्ल्यूडी एनएच के लखनऊ मुख्यालय से करीब 15 दिन पहले फाइल दिल्ली स्थित सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के कार्यालय में भेजी गई थी। मंत्रालय में डिजाइन और तकनीकी बिंदुओं की प्राथमिक जांच के बाद सैद्धांतिक सहमति प्रदान करते हुए आगे की कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों को उम्मीद है कि नए साल की शुरुआत में डीपीआर, डिजाइन के साथ ही लगभग 1500 करोड़ रुपये के बजट को भी हरी झंडी मिल जाएगी।
एलीवेटेड रोड निर्माण के लिए दो माह पहले नौ सितंबर को सड़क परिवहन मंत्रालय की टीम ने रामादेवी से आईआईटी तक निरीक्षण किया था। टीम ने उस समय जमीन अधिग्रहण से बचते हुए डीपीआर में सुधार के निर्देश दिए थे। विभागीय इंजीनियरों का कहना है कि मंत्रालय से अंतिम स्वीकृति मिलते ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। एलीवेटेड रोड निर्माण में लगभग तीन वर्ष का समय लगेगा।
10.2 किलोमीटर लंबी होगी एलीवेटेड रोड
गोल चौराहे से रामादेवी तक बनने वाली एलीवेटेड रोड की लंबाई 10.2 किलोमीटर की होगी। एलीवेटेड रोड बनने से झकरकटी बस अड्डा, जरीब चौकी और सीओडी क्रासिंग जैसे इलाकों में यातायात का दबाव काफी हद तक कम होगा, इन तीनों स्थानों में एलीवेटेड से चढ़ने-उतरने के लिए रैंप बनाए जाएंगे।
20 बार बदला एलीवेटेड रोड का डिजाइन
जनवरी 2024 में एलीवेटेड रोड की डीपीआर बनाने का काम शुरू हुआ था। हेक्सा कंपनी को नवंबर 2024 तक डीपीआर सौंपनी थी, लेकिन विभागीय इंजीनियरों और कंपनी के बीच बार-बार हुए संशोधनों के कारण यह काम तय समय से करीब 15 माह पीछे चला गया। डीपीआर में लगभग 20 बार बदलाव किए गए, तब जाकर इसे स्वीकृति के लिए भेजा जा सका। सबसे ज्यादा संशोधन अलाइमेंट, रैंप डिजाइन को लेकर हुए। झकरकटी बस अड्डे, जरीब चौकी और सीओडी क्रासिंग पर प्रस्तावित रैंपों की ऊंचाई, मोड़ और सुरक्षा मानकों को लेकर बार-बार आपत्तियां उठीं। इसके साथ ही जरीब चौकी पर पहले एलीवेटेड रोड को सेतु निगम के ओवरब्रिज से छह मीटर ऊपर ले जाने का प्रस्ताव था, लेकिन इसे जोखिमपूर्ण और महंगा मानते हुए डिजाइन बदला गया और अब एलीवेटेड रोड को सीधे ओवरब्रिज से जोड़ने का विकल्प अपनाया गया है।
एलीवेटेड रोड की डीपीआर मंत्रालय की गाइडलाइंस के अनुसार तैयार कर भेजी गई है। निर्माण कार्य शुरू करने से पहले वन एवं पर्यावरण के साथ ही रेल मंत्रालय की एनओसी के लिए आवेदन किया गया है। मंत्रालय स्तर से नए वर्ष में स्वीकृति मिलने की उम्मीद हैं।
रवीन्द्र जायसवाल, प्रभारी अधिशासी अभियंता, पीडब्ल्यूडी एनएच |