यूपी का बड़ा जीएसटी फर्जीवाड़ा: स्क्रैप के खेल में 989 करोड़ की सेंध, अब सीधे लखनऊ से हो रही मॉनिटरिंग

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प्रतीकात्‍मक च‍ित्र



जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। जीएसटी चोरी प्रकरण ने प्रशासनिक और प्रवर्तन एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। 5478.35 करोड़ रुपये के टर्नओवर और 989.13 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी सामने आने के बाद इस मामले की जांच अब और तेज हो चुकी है। मुख्य आरोपित की तलाश में विशेष जांच टीम (एसआईटी) लगातार दबिश दे रही है और पूरे नेटवर्क को खंगालने में जुटी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

राज्यकर विभाग अधिकारियों के अनुसार अब तक 535 फर्में सामने आ चुकी हैं, जिनके माध्यम से बड़े पैमाने पर फर्जी बिलिंग और टैक्स चोरी की गई। जांच अधिकारियों के अनुसार, इन फर्मों के आधार पर टैक्स चोरी का आंकड़ा लगभग एक हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। इतना ही नहीं, जांच अभी जारी है।

अनुमान है कि लगभग 200 और फर्मों के टर्नओवर और टैक्स चोरी के आंकड़े जुड़ने के बाद यह राशि और अधिक बढ़ सकती है। एसआईटी की कार्रवाई के तहत अब तक तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। पूछताछ में कई अहम जानकारियां सामने आई हैं, जिनके आधार पर जांच का दायरा लगातार बढ़ा रहे है।

जांच एजेंसियां इस पूरे घोटाले के मास्टरमाइंड तक पहुंचने का प्रयास कर रहीं हैं, जो पर्दे के पीछे रहकर फर्जी फर्मों के नेटवर्क को संचालित कर रहा था। राज्यकर अधिकारियों के अनुसार, फर्जी फर्मों से जुड़े कई अहम तकनीकी साक्ष्य एसआईटी को सौंप दिए गए हैं। इनमें फर्मों के पंजीकरण के दौरान उपयोग किए गए आईपी एड्रेस, फर्जी पते, दस्तावेजों में दर्ज पत्राचार और अन्य डिजिटल जानकारियां शामिल हैं।

इन साक्ष्य के आधार पर यह पता लगाया जा रहा है कि फर्जी फर्मों का संचालन कहां से और किन लोगों के माध्यम से किया जा रहा था। जांच के दौरान यह भी सामने आया है कि स्क्रैप कारोबार की आड़ में बड़े पैमाने पर फर्जी बिल लगाए गए। इसी कड़ी में विभागीय अधिकारी स्क्रैप फैक्ट्रियों और उनसे जुड़े कारोबारियों की भूमिका की जांच कर रहे हैं।

जिन फैक्ट्रियों पर संदेह है, उनके लेनदेन, खरीद-बिक्री और बिलिंग रिकार्ड की बारीकी से पड़ताल की जा रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए इस प्रकरण में अब डीजीपी कार्यालय से भी नजर रखी जा रही है। उच्च स्तर पर निगरानी शुरू होने के बाद जांच एजेंसियों पर तेजी से कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है।

बताया जा रहा है कि एसआइटी और राज्यकर विभाग द्वारा जांच की प्रगति से संबंधित बिंदुवार रिपोर्ट डीजीपी कार्यालय को भेजी जाएगी, ताकि पूरे मामले पर सीधे निगरानी रखी जा सके। आने वाले दिनों में इस प्रकरण में और भी बड़े राजफाश हो सकते हैं। जीएसटी चोरी के इस मामले ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है, बल्कि यह भी साफ कर दिया है कि फर्जी फर्मों के जरिए टैक्स चोरी का नेटवर्क कितनी गहराई तक फैला है।

  

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