नई दिल्ली। आरबीआई हर दो महीने मौद्रिक समिति बैठक आयोजित करता है। इस बैठक के दौरान आरबीआई रेपो रेट को रिव्यू कर उसमें बदलाव करने या न करने का फैसला लेता है। रेपो रेट का सीधा असर आपके लोन की ईएमआई पर पड़ता है। इसमें कटौती होने से आपकी ईएमआई भी कम हो जाती है। लेकिन ये बैंकों पर भी निर्भर करता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस साल आरबीआई ने कुल 4 बार रेपो रेट में कटौती कर आम आदमी को बड़ा तोहफा दिया है। सबसे पहले जानते हैं कि आरबीआई ने कब-कब कितनी कटौती की है?
कब-कब कितना घटाया रेपो रेट?
| तारीख | रेपो रेट | बदलाव | | 7 फरवरी | 6.25% | -0.25% | | 9 अप्रैल | 6.00% | -0.25% | | 6 जून | 5.50% | -0.50% | | अगस्त | 5.50% | कोई बदलाव नहीं | | 1 अक्टूबर | 5.50% | कोई बदलाव नहीं | | 5 दिसंबर | 5.25% | -0.25% |
ऊपर दी गई टेबल से हम समझ सकते हैं कि दिसंबर 2024 में रेपो रेट 6.50 फीसदी हुआ करता था, जो इस साल के अंत तक (यानी 2025) में 5.25 फीसदी हो गया है। इसका मतलब है कि रेपो रेट कुल 1.25 फीसदी की कटौती हुई है।
अब समझते है कि रेपो रेट क्या होता है और इसका आप पर कैसे असर होता है?
क्या होता है Repo Rate?
देश की केंद्रीय बैंक, एक साल में हर दो महीने बाद मौद्रिक समिति की बैठक आयोजित करती है। इस बैठक के दौरान रेपो रेट और अन्य वित्तीय संबंधित निर्णय लिए जाते हैं। रेपो रेट वो दर है, जिसके आधार पर वाणिज्यिक बैंक आरबीआई से लोन लेते हैं। हालांकि रेपो रेट के आधार पर बैंक आरबीआई से शॉर्ट टर्म लोन ही ले पाते हैं।
अब ये समझते हैं कि ये आप कैसे असर करेगा?
Repo Rate Cut क्या करेगा असर?
अगर रेपो रेट में कटौती होती है, तो बैंकों को लोन कम ब्याज पर मिलेगा। फिर आपको भी कम ब्याज पर लोन उपलब्ध कराया जाएगा।
ऐसी ही अगर रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो बैंक को लोन लेना महंगा पड़ेगा। इससे आपका भी लोन ब्याज दर बढ़ जाएगा। ब्याज दर बढ़ने से आपकी ईएमआई भी महंगी हो जाएगी।
हालांकि ये बैंकों पर भी निर्भर करता है कि रेपो रेट में कटौती के बाद वे फिक्स्ड ब्याज दर कम करना चाहते हैं या नहीं।
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