हिमाचल की 47 दवाएं \“नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी\“ घोषित (सांकेतिक इमेज)
PTI, शिमला। हिमाचल प्रदेश में स्टेट ड्रग कंट्रोलर ने 47 दवाओं को \“नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी (Not of Standard Quality - NSQ)\“ घोषित कर दिया है। जानकारी के अनुसार, टेस्ट किए गए 200 दवा सैंपल में से 47 राज्य में बने थे, जिनमें बुखार, हार्ट अटैक और डायबिटीज की दवाएं शामिल हैं। फेल हुए सभी सैंपल सोलन, सिरमौर और ऊना जिलों के हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने बार-बार फेल होने वाली कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करने की घोषणा की है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
47 दवाएं क्वालिटी टेस्ट में फेल
हिमाचल प्रदेश के स्टेट ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर के अनुसार, जिन कंपनियों के दवा के सैंपल क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गए हैं, उन्हें नोटिस जारी किए गए हैं और उन्हें बाजार से अपना स्टॉक वापस लेने का निर्देश दिया गया है। देश भर में टेस्ट किए गए 200 दवा के सैंपल में से 47 राज्य में बनाए गए थे। इनमें बुखार, हार्ट अटैक और डायबिटीज की दवाएं शामिल हैं। फेल हुए सैंपल 28 सोलन से, 18 सिरमौर से और एक ऊना से थे।
दवा कंपनियों को नोटिस जारी
अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि संबंधित कंपनियों को नोटिस जारी किए गए हैं। नवंबर 2025 में, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने 65 सैंपल इकट्ठा किए, जबकि स्टेट ड्रग कंट्रोलर ने 135 सैंपल इकट्ठा किए। इनमें से 47 सैंपल घटिया क्वालिटी के पाए गए। कपूर ने सोलन में मीडियाकर्मियों को बताया कि दवा कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है, और नियमों के अनुसार कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इन बिमारियों से जुड़ी थी दवाएं
क्वालिटी टेस्ट में फेल हुई दवाओं के सैंपल में बुखार के लिए पैरासिटामोल, हार्ट अटैक के लिए क्लोपिडोग्रेल और एस्पिरिन, ब्लड शुगर कम करने के लिए मेटफॉर्मिन, दिल की बीमारियों के लिए रामिप्रिल, मिर्गी के लिए सोडियम वैल्प्रोएट, और मांसपेशियों में ऐंठन कम करने के लिए मेबेवेरिन हाइड्रोक्लोराइड शामिल हैं, साथ ही कई अन्य दवाएं भी घटिया क्वालिटी की पाई गईं।
पहले भी आ चुका है ऐसा मामला
राज्य में बनी दवाओं के सैंपल के क्वालिटी टेस्ट में फेल होने का लगातार ट्रेंड रहा है। स्वास्थ्य मंत्री धनी राम शांडिल ने पहले घोषणा की थी कि बार-बार फेल होने वाली कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा, और सरकार इस संबंध में कार्रवाई कर रही है। इसके अलावा, मार्च 2025 में केंद्रीय दवा नियामक द्वारा जारी एक मासिक अलर्ट में बताया गया था कि राज्य की विभिन्न फार्मास्युटिकल कंपनियों द्वारा बनाए गए 38 दवा के सैंपल क्वालिटी मानकों को पूरा नहीं करते थे। |