अमेरिका के टैरिफ का असर: चीन को भारत का निर्यात 90% उछला, फिर भी घाटा क्यों?

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राजीव कुमार, जागरण नई दिल्ली। अमेरिका की ओर से 50 प्रतिशत शुल्क लगाए जाने के बाद के पिछले चार महीनों से चीन को होने वाले भारतीय निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। नवंबर 2025 में तो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में चीन को निर्यात 90 प्रतिशत बढ़ा है। लेकिन अब भी चीन से होने वाला आयात काफी अधिक है। इसे देखते हुए चालू वित्त वर्ष 2025-26 में चीन के साथ व्यापार घाटा 100 अरब डालर से अधिक रह सकता है। चालू वित्त वर्ष में अब तक (अप्रैल-नवंबर 2025) भारत ने चीन से 84 अरब डालर का आयात किया है, जबकि इस अवधि में चीन को सिर्फ 12.22 अरब डालर का निर्यात किया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

विदेश व्यापार के जानकारों के मुताबिक, सिर्फ चार उत्पादों का घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाकर भारत अपने व्यापार घाटे को काफी हद तक कम कर सकता है। इनमें इलेक्ट्रानिक्स, मशीनरी, आर्गेनिक केमिकल्स व प्लास्टिक शामिल हैं। चीन से होने वाले कुल आयात में इन चार उत्पादों की हिस्सेदारी 70-75 प्रतिशत तक है। इलेक्ट्रानिक्स के मामले में भारत अब भी मोबाइल फोन के कई कंपोनेंट्स, इंटीग्रेटेड सर्किट, लैपटाप, सोलर सेल व माड्यूल, लीथियम आयन बैटरी जैसे उत्पादों के लिए काफी हद तक चीन के आयात पर निर्भर करता है।

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष 2025-26 में अब तक भारत से चीन को होने वाले निर्यात में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 32 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि चीन से होने वाले आयात में यह बढ़ोतरी 15 प्रतिशत रही है।

कैलेंडर वर्ष 2025 में जनवरी से नवंबर तक चीन से भारत ने 113 अरब डालर का आयात किया। इनमें इलेक्ट्रानिक्स 38 अरब डालर, मशीनरी 25 अरब डालर, आर्गेनिक केमिकल्स 11.5 अरब डालर तो प्लास्टिक का आयात 6.3 अरब डालर रहा है। मतलब 113 अरब डालर के आयात में इन चार उत्पादों का आयात 80 अरब डालर तक पहुंच गया। इलेक्ट्रानिक्स उत्पादों के 38 अरब डालर के आयात में 8.6 अरब डालर का मोबाइल फोन कंपोनेंट्स, 6.2 अरब डालर का इंटिग्रेटेड सर्किट, 4.5 अरब डालर का लैपटाप, 3.0 अरब डालर का सोलर सेल व माड्यूल, 2.6 अरब डालर का पैनल डिस्प्ले, 2.3 अरब डालर का लिथियम आयन बैटरी तो 1.8 अरब डालर का मेमोरी चिप आयात शामिल हैं। हालांकि इनमें से लैपटाप, पैनल डिस्प्ले जैसे उत्पादों के घरेलू निर्माण का काम जल्द ही तेजी से शुरू हो जाएगा।
मोबाइल फोन का बड़ा निर्यातक बना भारत

पिछले पांच सालों में इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद खासकर मोबाइल फोन का भारत बड़ा निर्यातक देश बन चुका है। इसके लिए बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रानिक्स से जुड़े कच्चे माल की जरूरत है जो घरेलू स्तर पर पूरी नहीं हो सकती है। मैन्यूफैक्च¨रग से जुड़ी मशीन के लिए भारत अभी भी चीन पर काफी निर्भर है। पिछले कुछ सालों से घरेलू स्तर पर मैन्यूफैक्च¨रग का विस्तार हो रहा है जिससे मशीनरी का आयात कम होता नहीं दिख रहा है।

जानकारों का कहना है कि पिछले दो साल में क्वालिटी कंट्रोल नियम व अपने निर्माण में तेजी आने से भारत में चीन से होने वाले कई उत्पादों के आयात में गिरावट आई है।
बीते चार महीने में चीन को निर्यात (अरब डालर में)

अगस्त 1.21

सितंबर 1.46  

अक्टूबर 1.63

नवंबर 2.20

अब भी सबसे अधिक निर्यात अमेरिका को50 प्रतिशत शुल्क के बावजूद अब भी अमेरिका ही भारत के निर्यात के लिए सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है। 50 प्रतिशत शुल्क से छूट के दायरे में आने वाले इलेक्ट्रानिक्स, दवा जैसे उत्पादों के मजबूत निर्यात की वजह से पिछले साल की तुलना में अमेरिका को निर्यात में बढ़ोतरी दिख रही है।
अप्रैल-नवंबर के दौरान प्रमुख बाजारों को निर्यात

अमेरिका 59.04

यूएई 25.49

नीदरलैंड 12.90

चीन 12.22

ब्रिटेन 8.93

जर्मनी 7.47
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