जस्टिस स्वामीनाथन। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मद्रास हाईकोर्ट के जज जस्टिस जीआर स्वामीनाथन पर महाभियोग चलाने के विपक्षी नेताओं के कदम की 36 पूर्व जजों ने शनिवार को सांसदों एवं लोगों से निंदा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे प्रयास को आगे बढ़ने दिया गया तो यह लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की जड़ों पर ही चोट करेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उल्लेखनीय है कि एक दिसंबर को जस्टिस स्वामीनाथन ने फैसला सुनाया था कि अरुलमिघु सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर की यह जिम्मेदारी है कि वह उची पिल्लैयार मंडपम के पास पारंपरिक रोशनी के अलावा दीपाथून पर भी दीपक जलाए।
आदेश पर खड़ा हुआ विवाद
एकल जज वाली पीठ ने कहा कि ऐसा करने से पास की दरगाह या मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा। इस आदेश से विवाद खड़ा हो गया, और नौ दिसंबर को द्रमुक के नेतृत्व में कई विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को जज को हटाने के लिए प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया।
इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताते हुए पूर्व जजों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि यह \“\“उन जजों को डराने-धमकाने की एक कुत्सित कोशिश है जो समाज के एक खास तबके की वैचारिक और राजनीतिक उम्मीदों के हिसाब से नहीं चलते\“\“। उन्होंने कहा, \“\“अगर इस तरह की कोशिश को आगे बढ़ने दिया गया तो यह हमारे लोकतंत्र और न्यायपालिका की आजादी की जड़ों पर ही चोट करेगा।\“\“
उन्होंने आगे कहा, \“\“इसलिए हम सभी स्टेकहोल्डर्स - सभी पार्टियों के सांसदों, बार के सदस्यों, सिविल सोसायटी और आम नागरिकों से अपील करते हैं कि वे इस कदम की खुलकर निंदा करें और यह सुनिश्चित करें कि इसे शुरू में ही खत्म कर दिया जाए।\“\“
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