अयोध्या में सातों पूरक मंदिरों की धर्म ध्वजा पर अंकित होंगे देवी-देवताओं के प्रतीक चिह्न, ट्रस्ट ने लिया बड़ा फैसला

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जागरण संवाददाता, अयोध्या। श्रीराम मंदिर के बाद अब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सातों पूरक मंदिरों में भी दर्शन प्रारंभ कराने की तैयारी कर रहा है। इससे पहले मंदिरों के शिखर पर धर्म ध्वजा का आरोहण कराया जाएगा। ट्रस्ट ने प्राण प्रतिष्ठा की द्वितीय वर्षगांठ यानी प्रतिष्ठा द्वादशी के साथ ही ध्वजारोहण की भी तैयारी शुरू की है। पदाधिकारियों ने पूरक मंदिरों की धर्म ध्वजा पर देवी-देवताओं के प्रतीक चिह्नों को अंकित कराने का निर्णय लिया है।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

मंदिरों में जिस देवी या देवता का वास होगा, उनके प्रतीक चिह्न ध्वजा पर अंकित रहेंगे। ध्वजा के कपड़े की गुणवत्ता राम मंदिर की भांति ही टिकाऊ रखी जाएगी और आकार उससे छोटा होगा। राम मंदिर का निर्माण पूर्ण होने के बाद इसके स्वर्ण शिखर पर गत 25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ध्वजारोहण कर दिया है। पूरक मंदिरों के शिखर पर ध्वजा फहराना शेष है।

इन मंदिरों में छिटपुट कार्य शेष रहने के कारण ट्रस्ट ने तत्समय इसका कार्यक्रम स्थगित कर दिया था। अब फिनिशिंग, साफ-सफाई व हरित विकास से संबंधित कार्य लगभग पूर्ण हो गए हैं, इसलिए ट्रस्ट ने शीघ्र ध्वजा के आरोहण की योजना बनाई है।

ट्रस्ट ने ध्वजा का आकार-प्रकार, रंग-रूप व गुणवत्ता आदि तय करने के लिए कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरि को अधिकृत कर रखा है। सूत्रों के अनुसार ट्रस्ट ने परकोटे के मध्य निर्मित भगवान शिव के मंदिर की धर्म ध्वजा पर नंदी बाबा या त्रिशूल, सूर्य मंदिर पर सूर्य या ऊं, गणेश मंदिर पर मूसक या गजानन, हनुमान मंदिर पर गदा, दुर्गा मंदिर पर सिंह (शेर), अन्नपूर्णा मंदिर पर अक्षय पात्र और शेषावतार मंदिर की ध्वजा पर शेषनाग को प्रतीक के रूप में अंकित कराने का निर्णय लिया है। ध्वजारोहण के आयोजन की रूपरेखा तैयार होते ही ध्वजा भी निर्मित कराई जाएगी।

मंदिर के दूसरे तल पर प्रदर्शित होंगे  

निर्णय से जुड़े साक्ष्य रामलला और उनके भव्य मंदिर के साथ वह साक्ष्य भी पूजित-प्रतिष्ठित होंगे, जिसके चलते रामलला के पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय संभव हुआ। ये साक्ष्य राम मंदिर के दूसरे तल पर दर्शनीय और पूज्य सामग्री के रूप में प्रदर्शित-संरक्षित होंगे। मंदिर ट्रस्ट इन साक्ष्यों को न्यायालय से वापस मांगने की तैयारी में है।  

श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र के अनुसार साक्ष्य के रूप में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से किए गए उत्खनन में प्राप्त अवशेषों के अतिरिक्त प्रचुर मात्रा में साहित्यिक अंश हैं। अब इस फैसले को चुनौती देने वाला कोई नहीं है, ऐसे में न्यायालय को औपचारिक पत्र लिखकर अनुरोध किया जाएगा कि मंदिर पक्ष से जुड़े सभी साक्ष्य और दस्तावेज श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंप दिए जाएं।

प्रतिष्ठा द्वादशी पर भी चलता रहेगा दर्शन  

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से आयोजित द्वितीय प्रतिष्ठा द्वादशी (पौष शुक्ल द्वादशी) का पांच दिवसीय उत्सव पूरे उत्साह व उमंग के साथ संपन्न होगा। कार्यक्रम की व्यवस्थाओं को मूर्तरूप देने के लिए शनिवार को अयोध्याधाम के विभिन्न मठ-मंदिरों से जुड़े साधु-संतों और ट्रस्ट के प्रमुख कार्यकर्ताओं की बैठक हुई। ट्रस्टी डा. अनिल कुमार मिश्र ने बताया कि 29 दिसंबर से दो जनवरी तक होने वाले उत्सव के दौरान मंदिर परिसर में दर्शन नियमित रूप से जारी रहेगा।

मंदिर में रामलला को समर्पित की जाने वाली राग सेवा और अन्य आध्यात्मिक अनुष्ठान जनसामान्य तक पहुंच सकें, इसके लिए भी प्रबंध किए जा रहे हैं। प्रतिष्ठा द्वादशी के दिन होने वाला रामलला का अभिषेक भी भक्तों को लाइव दिखाया जाए, इसका भी प्रयास किया जा रहा है।
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