बदरपुर एमसीडी टोल पर रोजाना लग रहा 15-20 मिनट जाम, ट्रैफिक बढ़ा रहा प्रदूषण; वाहन चालक चाहते अस्थायी हटाव

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बदरपुर बार्डर एमसीडी टोल पर जाम में फंसे व्यवसायिक वाहन। जागरण



जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। बदरपुर बार्डर के एमसीडी टोल पर मथुरा रोड से दिल्ली की तरफ आने वाले वाहन चालक रोजाना 15 से 20 मिनट तक रोज फंसे रहते हैं। यहां यह हालात तो तब है, जबकि यहां आरएफआइडी तकनीक से टोल वसूली होती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

ट्रैफिक जाम प्रदूषण का बड़ा कारण माना जा रहा है। नतीजतन यह टोल नाका न केवल लोगों के लिए जाम का सबब बन रहा है, बल्कि प्रदूषण की समस्या को बढ़ा रहा है।

बता दें, बीते बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार को सुझाव दिया था कि दिल्ली बार्डर के प्रमुख कुछ एमसीडी टोल, जो भीषण जाम और प्रदूषण का कारण बन रहे हैं, उन्हें अस्थायी तौर पर हटाया जाए।

बदरपुर टोल में फंसने वाले नियमित वाहन चालक चाहते हैं कि अस्थायी ही सही लेकिन बदरपुर-फरीदाबाद प्रमुख एमसीडी टोल भी हटना चाहिए, ताकि कुछ समय के लिए तो राहत मिले।
संकरी है टोल फ्री सड़क

बता दें, मथुरा रोड पर दिल्ली-फरीदाबाद सीमा पर एनएचएआइ का टोल बैरियर है। यहां पर एमसीडी का भी टोल बैरियर है। दिल्ली में आने के लिए टोल फ्री सड़क बहुत ज्यादा संकरी है। इसकी चौड़ाई करीब 30 फीट के आसपास है।

इस सड़क पर एमसीडी टोल नाका है। हालात यह है कि सुबह-शाम जब ट्रैफिक का पीक टाइम होता है, तब व्यवसायिक वाहन एमसीडी के इस टोल नाके पर संकरी सड़क पर खड़े हो जाते हैं और धीरे धीरे जाम लंबा लग जाता है। यहां वाहन चालक आमतौर पर 15 से 20 मिनट और उससे ज्यादा समय तक फंसने के बाद रेंग रेंगकर निकल पाते हैं।

शनिवार को इसी जाम में फंसे मैक्स अस्पताल में एकाउटेंट सतप्रकाश रतूड़ी, सराय निवासी चंदप्रकाश ने बताया कि दिल्ली में जाम की स्थिति को देखते हुए हर किसी को आफिस समय से पहुंचने के लिए डेढ़ से दो घंटे पहले निकलना पड़ता है।

सुप्रीम कोर्ट को बदरपुर एमसीडी टोल पर भी संज्ञान लेना चाहिए। अस्थायी राहत ही, लेकिन राहत तो मिलेगी।
दिल्ली में टोल वसूली का सफरनामा

  • वर्ष 2000: दिल्ली में व्यावसायिक वाहनों से टोल वसूली शुरू हुई।
  • 1 मई 2003: टोल वसूली को एमसीडी ने निजी कंपनी के जरिए वसूलना शुरू किया।
  • 2015: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जरुरी वस्तुओं को छोड़कर व्यावसायिक वाहनों से पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क लिया गया।
  • 23 अक्टूबर 2018: 13 टोल नाकों को आरएफआईडी टैग युक्त किया गया।
  • 1 जुलाई 2019: आठ टोल नाकों पर आरएफआईडी से वाहनों का प्रवेश अनिवार्य किया गया।
  • 15 अगस्त 2019: 13 टोल नाकों पर आरएफआईडी से वाहनों का प्रवेश अनिवार्य किया गया।
  • 30 जून 2021: 124 टोल नाकों पर आरएफआईडी टैग से प्रवेश अनिवार्य किया गया।
  • 1 अक्टूबर 2025: ईसीसी वसूली में होने वाली असमानता को खत्म कराया गया।
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