रुड़की के गंगनहर पुल पर लगी उत्तराखंड के पहले बलिदानी थानाध्यक्ष मंगू सिंह वर्मा की मूर्ति। जागरण
रमन त्यागी जागरण रुड़की: कुख्यात मनोज सैनी एवं शशि से मुठभेड़ में हुए 21 दिसंबर 2000 की दोपहर को मंगलौर कोतवाली के थिथकी गांव में गंगनहर कोतवाली के थानाध्यक्ष मंगू सिंह वर्मा बलिदान हो गए। शहादत के 24 साल बाद स्वजन एवं कुछ समाज सेवियों के सहयोग से गंगनहर पुल पर 14 अगस्त 2025 को उनकी मूर्ति स्थापित की गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रुड़की, सहारनपुर समेत कई जिलों में दहशत का पर्याय बने कुख्यात मनोज सैनी एवं शशि सैनी के आतंक से रुड़की शहर भी धर्राया हुआ था। एसओजी समेत कई थानों की पुलिस दोनों कुख्यातों को पकड़ने के लिए रात दिन लगी थी। एक सूचना पर 21 दिसंबर 2000 को पुलिस की टीम पीछा करते हुए सहारनपुर के नौगजा पीर के पास से बदमाशों के पीछे लगी थी।
भगवानपुर से चुड़ियाला गांव होते हुए इकबालपुर से होते हुए बदमाश थिथकी गांव में घुस गए। उस समय गंगनहर थाने के थानाध्यक्ष मंगू सिंह वर्मा भी पुलिस बल को लेकर थिथकी गांव में पहुंच गए। दोनों बदमाश एक मकान में छिपकर गोलियां बरसाने लगे, पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की।
बदमाशों की तरफ से गोली चलना बंद हो गई तो दिलेर थानाध्यक्ष मंगू सिंह वर्मा बदमाशों के बारे में जानकारी लेने के लिए जैसे ही मकान की ओर बढ़े तो कुख्यातों ने फिर से गोली चला दी और मंगू सिंह वर्मा बलिदान हो गए। उनके निधन के बाद तमाम घोषणाएं हुई। गंगनहर थाने पर उनकी प्रतिमा लगाने की बात की गई, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो सका।
इस वर्ष गंगनहर थाने के ही बलिदानी सुनीत सिंह नेगी के शहादत दिवस पर उनकी प्रतिमा के साथ ही थानाध्यक्ष मंगू सिंह वर्मा की मूर्ति लगाई गई है। मंगू सिंह वर्मा मूल रूप से मेरठ के थाना नौंचदी अन्तर्गत शास्त्री नगर के रहने वाले थे। वह हरिद्वार के अलावा देहरादून जिले में भी तैनात रहे है।
यह भी पढ़ें- 1962 से लेकर 2024 तक सिरमौर के 45 जवान देश के लिए हुए बलिदान, 6 को मिला वीरता पुरस्कार
यह भी पढ़ें- 1971 के भारत-पाक युद्ध में उत्तराखंड के वीर योद्धाओं ने मनवाया था लोहा, 248 लाल हुए थे बलिदान |