ठिठुरती ठंड में दरी पर बैठने को मजबूर बच्चे, स्वेटर का वादा अब तक कागजों में

Chikheang 3 day(s) ago views 653
  

ठिठुरती ठंड में दरी पर बैठने को मजबूर बच्चे



बाल मुकुंद शर्मा, मधुपुर (देवघर)। ठंड का प्रकोप धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। ठंड से बचने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं। ठंड से बचाव के लिए सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चों के बीच अब तक स्वेटर का वितरण नहीं किया जा सका है।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

लिहाजा इसका असर स्कूली बच्चों में साफ देखने को मिल रहा है। नौनिहाल बच्चे बिना स्वेटर सुबह ठिठुरन भरी ठंड में स्कूल जाने को विवश हैं। जागरण की टीम बुधवार को
ठंड में दरी पर बैठने को मजबूर बच्चे

मधुपुर नगर परिषद क्षेत्र के 1954 में स्थापित उत्क्रमित मध्य विद्यालय शेखपुरा में स्वेटर वितरण की पड़ताल करने पहुंचा। देखा कि वर्ग पहली व दूसरी क्लास के बच्चे कमरे में बीछे दरी पर बैठकर पढ़ाई कर रहे थे। जबकि कक्षा तीन से आठवीं तक के बच्चे बेंच पर बैठकर पठन-पाठन कर रहे थे।  

उन्हें प्रधानाध्यापिका गायत्री कुमारी एवं सहायक शिक्षिका सुनीता कुमारी पढ़ा रही थीं। प्रधानाध्यापिका गायत्री कुमारी ने बताया कि अब तक नामांकित बच्चों की कुल संख्या 64 है। जिसमें वर्ग पहली में सात, दूसरी में छह तीसरी में 14,चौथी में सात, पांचवीं में सात, छठी में सात, सातवीं में 9 एवं आठवीं कक्षा में सात बच्चे शामिल हैं।  
64 बच्चों में 58 बच्चे उपस्थित

ठंड के बावजूद स्कूल में बच्चों की उपस्थिति अच्छी रहती है। नामांकित 64 बच्चों में 58 बच्चे उपस्थित थे। सरकार द्वारा एक व दो वर्ग के बच्चों के लिए स्वेटर उपलब्ध कराया जाता है । बाकी वर्ग के बच्चों के लिए ड्रेस के मद में 600 रुपये उनके खाते में भेजा जाता है। बच्चों द्वारा खाता चेक कराने पर ड्रेस का पैसा आने की सूचना मिली है। सभी बच्चों को स्वेटर खरीदने का निर्देश प्रधानाध्यापिका द्वारा दिया गया है।
अभिभावकों ने की स्वेटर उपलब्ध कराने की मांग

विकास कुमार दास, सुदामा साव, प्रताप गुप्ता, संजय कुमार साह, सुबोध साव समेत अन्य अभिभावकों का कहना है कि सरकार को समय पर बच्चों को दी जाने वाली सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं होता। अगर ठंड में स्वेटर नहीं मिला तो बाद में मिलने से क्या लाभ। ठंड को देखते हुए जल्द से जल्द स्वेटर का वितरण विभाग को करना चाहिए।
मात्र दो कमरे में होता कक्षा का संचालन

विद्यालय को मध्य विद्यालय के रूप में उत्क्रमित भले ही कर दिया गया लेकिन मात्र दो कमरे में कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को पठन-पाठन करना पड़ रहा है। दो कैमरा एक दशक से विभागीय उदासीनता के कारण निर्माणाधीन पड़ा है।
पानी पीने का कोई साधन नहीं

विद्यालय में अब तक पानी पीने के लिए कोई साधन विभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया है। चापाकल नहीं रहने के कारण बच्चों को विद्यालय से बाहर जाकर प्यास बुझाने को मजबूर हैं। मध्याहन भोजन बनाने के लिए रसोईया को बाहर से लाना होता है।
विद्यालय में किचन की अनुपलब्धता

विद्यालय में किचन नहीं रहने के कारण क्लास रूम के एक कमरे में मध्याहन भोजन बनाया जाता है। जिस कारण क्लास रूम की कमी हो गई है। विद्यालय का अपना चाहरदीवारी अवश्य है। परंतु संसाधन की कमी से स्कूली बच्चे जूझ रहे हैं।  

इस संदर्भ में प्रधानाध्यापिका द्वारा कई बार विभाग के पदाधिकारी को पत्राचार कर समस्या का समाधान करने की अपील की गई है लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।
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