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क्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में पेश किया विधेयक (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यूजीसी, एआइसीटीई सहित करीब दर्जन भर नियामकों में बंटी देश की उच्च शिक्षा की कमान अब विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान संभालेगा। केंद्र सरकार ने सोमवार को इससे जुड़ा विधेयक लोकसभा में पेश किया।
हालांकि विपक्ष सदस्यों की आपत्ति और हंगामे के चलते विधेयक को तुरंत संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी ) को भेजने पर सहमति दे दी गई। विपक्ष का कहना था कि इतने अहम विधेयक की प्रति पहले नहीं दिए जाने से वह इसके लिए तैयार नहीं है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वहीं प्रस्तावित विधेयक में नाम को छोड़कर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( एनईपी ) की सिफारिशों का पूरा ख्याल रखा गया है। एनईपी में इसके लिए भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (हेकी ) का नाम सुझाया गया था। सरकार पहले इस नाम से विधेयक भी लेकर आयी थी।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान ने विधेयक को पेश करते हुए बताया कि उच्च शिक्षा को एक नियामक के दायरे में लाए गए विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान में विनियमन, गुणवत्ता व मानक को लेकर तीन परिषद भी गठित होगी। इनका फोकस सिर्फ अपने निर्धारित क्षेत्र पर होगा।
इसके दायरे में कानून, फार्मेसी और चिकित्सा शिक्षा को छोड़ राष्ट्रीय महत्व के सभी संस्थानों, केंद्र व राज्य अधिनियम के तहत गठित विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थान के साथ वास्तुविद परिषद, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई), राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई), मुक्त व दूरस्थ शिक्षा, आनलाइन शिक्षा और डिटिजल शिक्षा सहित ऐसे सभी अन्य नियामक संस्थाएं शामिल होगी, जिनका गठन केंद्र सरकार की ओर से किया जाएगा।
अध्यक्ष सहित 13 सदस्यीय होगा प्रस्तावित अधिष्ठान का स्वरूप
प्रस्तावित विधेयक के मुताबिक इस अधिष्ठान के एक गैर-कार्यकारी अध्यक्ष होंगे, जबकि 12 सदस्य होंगे। इनमें से तीन सदस्य स्वायत्त परिषदों के अध्यक्ष होंगे, जबकि उच्च शिक्षा सचिव, दो प्रतिष्ठित शिक्षाविद, पांच अलग-अलग क्षेत्रों से जुडे प्रतिष्ठित विशेषज्ञ व एक सदस्य सचिव है। अधिष्ठान देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों को नीतियों को लागू करने के लिए वित्तीय सहायता देने का काम भी करेगा। वहीं तीनों स्वायत्त परिषदों में भी एक-एक अध्यक्ष के साथ ही सभी 14-14 सदस्य होंगे।
फर्जी विश्वविद्यालयों के गठन पर लगेगा दो करोड़ का जुर्माना
उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बरकरार रखने के लिए विधेयक में फर्जी विश्वविद्यालयों के निपटने के कड़े प्रबंध किए गए है। अब किसी विश्वविद्यालय के फर्जी पाए जाने पर उसे तुंरत बंद करने के साथ उस पर दो करोड़ का जुर्माना भी लगाया जाएगा। इसके साथ ही नियमों के तहत बनाए गए विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थान यदि अब तय नियमों का पालन नहीं करेंगे तो उनके ऊपर दस लाख से लेकर 75 लाख तक जुर्माने लगाया जाएगा।
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