उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक से सैन्य साजो सामान का कश्मीर पहुंचना एक बड़ी रणनीतिक उपलब्धि है।
विवेक सिंह, जम्मू। सीमा पर युद्ध की स्थिति में दुश्मन पर कड़ा आघात करने के लिए अब भारतीय सेना के बड़े टैंक, तोपखाने व इंजीनियरिंग उपकरण रेलगाड़ी से देश के किसी भी हिस्से से जल्द कश्मीर पहुंच जाएंगे।
गर्मी, सर्दी, बरसात में अब सीमाओं की ओर बढ़ते भारतीय सेना के कदम मौसम की चुनौतियों के कारण नही थमेंगे। भावी युद्धों का सामना करने की तैयारियों के बीच सेना के भारी तोपों, टैंकों व वाहनों को रेलगाड़ी से कश्मीर पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
देश की उत्तरी सीमाओं पर अपनी रणनीतिक व लॉजिस्टिक क्षमताओं को और मजबूत करते हुए सेना ने विजय दिवस के दिन स्पेशल स्पेशल ट्रेन के जरिए टैंकों, भारी तोपखाने, वाहनों, इंजीनियरिंग उपकरणों को जम्मू से कश्मीर घाटी के अनंतनाग तक सफलतापूर्वक पहुंचाया। यह कदम सीमाअों की रक्षा के लिए सेना द्वारा त्वरित तैनाती व आधुनिक लाजिस्टिक व्यवस्था का बड़ा उदाहरण है।
कश्मीर से कारगिल-लेह पहुंचेंगे टैंक-तोपें
सड़क मार्ग से सेना के साजो सामान को बड़े वाहनों से देश के अन्य राज्यों से होते हुए कश्मीर तक पहुंचाने में कई दिन लग जाते थे। यही नहीं इसके लिए खासी मेहनत भी करनी पड़ती थी। सड़क मार्ग पर भारी ट्रैफिक के बीच से सेना के बड़े टैंकों व तोपों को मंजिल तक पहुंचाना बड़ी समस्या होता था। सेना के बड़े काफिलों की सड़क पर मूवमेंट के चलते सुरक्षा प्रबंध करने में खासी मेहनत करनी पड़ती थी।
अब उधमपुर–श्रीनगर–बारामुला रेल लिंक से सैन्य साजो सामान का कश्मीर पहुंचाना एक बड़ी रणनीतिक उपलब्धि है। अब रेल से कश्मीर तक पहुंचने वाले टैंक व तोपों जल्द कश्मीर, कारगिल व लेह में सीमाओं तक पहुंचेंगी। सीमांत क्षेत्र में नई सड़कें, पुल बनने से सैन्य क्षमता में वृद्धि हुई है। अब रेलगाड़ी से सेना के साजो सामान के कश्मीर तक रेलगाड़ी से पहुंचना एक बड़ी रणनीतिक उपलब्धि है।
रेल मार्ग से भेजा गया भारी सैन्य साजो-सामान
सेना का साजो सामान रेलगाड़ी से कश्मीर पहुंचाने वाले ट्रायल के दौरान टैंक, आर्टिलरी गन, डोज़र जैसे भारी सैन्य साजो-सामान को रेल मार्ग से सुरक्षित रूप से भेजा गया। इस पूरी प्रक्रिया की सफलता ने यह साबित किया कि अब किसी भी आपात स्थिति का सामना करने के लिए भारतीय सेना कम समय में भारी सैन्य संसाधनों को कश्मीर घाटी या लद्दाख तक पहुंचा देगी। इससे सेना की प्रतिक्रिया क्षमता कई गुना बढ़ेगी। किसी भी आकस्मिक या आपात स्थिति में सेना की त्वरित लाजिस्टिक बिल्डअप क्षमता राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत बनाएगी।
रेल मंत्रालय से समन्वय बनाकर सफल बनाया गया
इस ऐतिहासिक लॉजिस्टिक उपलब्धि को रेल मंत्रालय के साथ बेहतर समन्वय बनाकर अंजाम दिया गया। यह साबित हो गया कि उधमपुर–श्रीनगर–बारामुला रेल लिंक परियोजना न सिर्फ लोगों की आवाजाही को आसान बनाएगी अपितु यह रक्षा की दृष्टि से भी देश के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगी।
इस परियोजना से अब सेना का साजो सामान पूरा साल हर, मौसम में देश के अन्य हिस्सों से जुड़ा रहेगा। सेना के साजो सामान को बरसात के महीनों में कश्मीर पहुंचाना मुश्किल हो जाता था। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के भू स्खलन से बंद होने से सेना के बड़ते कदम रुक जाते थे।
सेना की त्वरित कार्रवाई को मिला बल
जम्मू के पीआरओ डिफेंस लेफ्टिनेंट कर्नल सुनीत बर्तवाल का कहना है कि रेल से साजो सामान के कश्मीर पहुंचने से भारतीय सेना की त्वरित कार्रवाई करने की क्षमता को बल मिला है। अब हर मौसम में सेना के साजो सामान के साथ सैनिकों को जल्द कश्मीर तक पहुंचाना संभव होगा। उनका कहना है कि कई बार मौसम की चुनौतियों के कारण सड़क मार्ग से साजो सामान भेजने में दिक्कतें होती थी। अब ऐसा नही होगा। |