अधूरा आवास प्रोजेक्ट (सांकेतिक तस्वीर)
अजय जायसवाल, जागरण, लखनऊः वित्तीय संकट न होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजट में तमाम लोक-लुभावन योजनाओं के लिए सरकारी खजाने से भारी-भरकम धन की व्यवस्था करने में कोई संकोच नहीं किया।
कुल बजट की लगभग 46 प्रतिशत धनराशि नई-पुरानी योजनाओं-परियोजनाओं के लिए दिया लेकिन साढ़े आठ माह में कई योजनाओं का बजट जहां कागजों में ही है वहीं अन्य में भी 50 प्रतिशत से भी कम खर्च हुआ है। ऐसे में प्रदेशवासियों को सरकार की मंशा के मुताबिक पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।
सवा वर्ष के दरमियान पहले पंचायत चुनाव और फिर विधानसभा चुनाव को देखते हुए योगी सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष-2025-26 के 8.40 लाख करोड़ रुपये के मूल बजट में से प्रदेशवासियों को खुश करने से लेकर उन्हें बेहतर बुनियादी सुविधायें मुहैया कराने पर 3.88 लाख करोड़ रुपये की खर्च करने की घोषणा की थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
गौर करने की बात यह है कि धन का पूरा इंतजाम होने के बावजूद 15 दिसंबर (वित्तीय वर्ष के साढ़े आठ माह) तक मात्र 1.38 लाख करोड़ रुपये(35.5 प्रतिशत) की योजनाएं ही धरातल पर उतरी हैं। 20 फरवरी को आम बजट पेश करते वक्त जिन योजनाओं का बड़ा गुणगान किया गया था उनमें से भी कई अब तक धरातल पर दिखाई नहीं दे रही हैं।
योजनाओं-परियोजनाओं को अमली जामा पहनाने के प्रति अफसरों की हीला-हवाली का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 12 माह में से साढ़े आठ माह गुजरने के बाद भी योजनाओं का सिर्फ 35.50 प्रतिशत बजट ही खर्च हो सका है। लगभग ढाई लाख करोड़ रुपये यूं ही पड़े हुए हैं। गौर करने की बात यह है कि योजनाओं के लिए सरकार ने बजट में पिछले वित्तीय वर्ष से कहीं ज्यादा धनराशि तो दी है लेकिन उसे खर्च करने की रफ्तार पिछले वित्तीय वर्ष से भी धीमी है। काम की धीमी गति से उपयोगिता प्रमाण पत्र देने में देरी के चलते केंद्र सरकार से विभिन्न योजनाओं में मिलने वाली धनराशि भी राज्य को समय से नहीं मिल पा रही है।
योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही से नाराज मुख्यमंत्री ने हाल ही अधिक बजट वाले 20 प्रमुख विभागों के अधिकारियों की बड़ी क्लास लगाई है। योगी ने बेहद कड़ा रुख दिखाते हुए सभी अधिकारियों को जल्द से जल्द बजट खर्च कर योजनाओं को धरातल पर उतारने की हिदायत दी लेकिन वित्तीय वर्ष के शेष साढ़े तीन माह में ही 64 प्रतिशत धनराशि खर्च करने को बड़ी चुनौती माना जा रहा है। ग्राम्य विकास, नगर विकास, खाद्य एवं रसद, औद्योगिक विकास, नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति, सिंचाई, चिकित्सा शिक्षा, बेसिक शिक्षा, नगरीय रोजगार, पंचायती राज, आवास एवं शहरी नियोजन, पर्यटन व परिवहन आदि विभाग 15 दिसंबर तक योजनाओं का 40 प्रतिशत भी नहीं खर्च कर सके हैं।
प्रमुख योजनाओं में खर्च की स्थिति (करोड़ रुपये में)
योजना – बजट धनराशि – खर्च(प्रतिशत में)
टैबलेट/स्मार्ट फोन 2000 – 00
स्मार्ट स्कूल बनाना 300 - 00
अवस्थापना सुविधाओं का विकास – 750 – 00
शहरों में कन्वेंशन सेंटर – 500 - 00
पीएम आदर्श ग्राम योजना – 500 - 00
अर्बन स्टार्म वाटर ड्रेनेज – 744.61 – 00
बसों की खरीद – 450 – 00
रिंग रोड-फ्लाई ओवर – 400 – 00
पीएमजीएसवाई – 1088.1 – 00
पीएम आवास योजना(ग्रामीण) – 4881.6 – 00
पीएम आवास योजना(शहरी-1.0) – 3150 – 00
गांव में डिजिटल लाइब्रेरी – 454 – 00
गांव में विवाह घर – 100 – 00
सीड पार्क की स्थापना – 251.25 – 00
पीएम कुसुम योजना – 509.43 – 00
श्रमजीवी महिला छात्रावास – 125 – 00
विद्यालयों के ऊपर से तार हटाने – 100 - 00
यूजी-पीजी की सीटों में वृद्धि – 1239 – 00
जल जीवन मिशन – 16000 – 0.74
सीएम लघु सिंचाई – 1100 – 397.52
राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान – 373.04 – 8.00
स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण) – 2045.06 – 144.92
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन – 5912.40 – 22.9
सीएम आवास योजना – 1200 – 189.00
मुफ्त खाद्यान-उज्जवला योजना – 1500 – 346.34
सिंचाई परियोजनाएं – 7491.23 – 1690.01
बाढ़ परियोजनाएं – 2784.75 – 1102.99
सीएम-ग्रिड्स – 750 – 49.16
स्वच्छ भारत मिशन(शहरी) – 2421.42 – 20.23
अमृत-2 – 4205.39 – 1056.53(25.12)
सीवरेज व जल निकासी – 750 – 372.20
कान्हा गौशाला व आश्रय स्थल – 450 – 128.11
सीएम शहरी विस्तारीकरण – 3000 – 600.55
पीएम आवास योजना(शहरी-2.0) – 2916.82 – 15.04
मलिन बस्ती विकास योजना – 400 – 25.76
नेशनल न्यूट्रीशन मिशन – 702.83 – 44.39 |