दिल्ली में लास्ट-माइल कनेक्टिविटी के लिए शुरू की गई रूरल सर्विस गाड़ियां अब बंद होने वाली हैं। फाइल फोटो
स्टेट ब्यूरो, नई दिल्ली। लास्ट-माइल कनेक्टिविटी के एक बड़े साधन के तौर पर शुरू की गई रूरल सर्विस गाड़ियां अब खत्म होने की कगार पर हैं। करीब 15 साल पहले दिल्ली सरकार के परमिट के आधार पर शुरू की गई 6,000 रूरल सर्विस गाड़ियों में से 3,000 अब सड़क से हटा दी गई हैं। बाकी 3,000 को भी उनकी उम्र खत्म होने की वजह से इस महीने रिटायर किया जाना है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सरकार ने इन गाड़ियों को इन परमिट वाली मौजूदा गाड़ियों के बराबर साइज़ की नई इलेक्ट्रिक रूरल सर्विस गाड़ियां चलाने की इजाज़त दी है। ऐसी गाड़ियां बाज़ार में उपलब्ध हैं। हालांकि, कई लोग पेंडिंग चालान और बकाया फिटनेस और परमिट फीस की वजह से नई रूरल सर्विस गाड़ियां नहीं खरीद पा रहे हैं।
रूरल सर्विस गाड़ी चलाने वालों ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मांग की है कि उनके लिए भी वैसी ही एमनेस्टी स्कीम लागू की जाए, जैसी पानी के बिल और दूसरी सेवाओं के लिए लागू की गई थी, ताकि उन्हें राहत मिल सके।
शहरी और ग्रामीण इलाकों के बीच लास्ट-माइल कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए, पिछली शीला दीक्षित सरकार ने 2010 में ग्रामीण सेवा नाम से यह CNG से चलने वाली सर्विस शुरू की थी। यह सर्विस ड्राइवर समेत सात सीटों वाली छोटी गाड़ियों के लिए शुरू की गई थी। इन गाड़ियों के परमिट 15 साल के लिए वैलिड थे। बाकी गाड़ियों के परमिट इस साल खत्म होने वाले हैं, और कई के तो पहले ही खत्म हो चुके हैं।
इस सर्विस को गांव के इलाकों में जाने का एक शानदार तरीका माना गया, और लोगों को इसका फायदा भी मिला। इस सर्विस के लिए 6,000 से ज़्यादा परमिट जारी किए गए थे। COVID-19 महामारी के दौरान, इस सर्विस के तहत गाड़ी चलाने वालों को नौकरी की बहुत बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। जिन लोगों ने अपनी गाड़ियां चलाईं, उनमें से कई पर जुर्माना लगा, और कई दूसरे अपनी परमिट फीस या फिटनेस फीस नहीं दे पाए।
जानकारों के मुताबिक, सड़कों से हटाए गए 3,000 ग्रामीण सेवा गाड़ियों में से ज़्यादातर को यही दिक्कत आ रही है। ग्रामीण सेवाओं से जुड़े कैपिटल ड्राइवर वेलफेयर एसोसिएशन के दिल्ली स्टेट प्रेसिडेंट चंदू चौरसिया ने कहा कि कोरोना काल में लगभग दो साल तक बहुत दिक्कतें आईं। कई ग्रामीण सेवा कर्मचारियों को डॉक्यूमेंट्स, परमिट और फिटनेस फीस से जुड़ी दिक्कतें थीं।
कई की गाड़ियां ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के स्टोर में खड़ी थीं और उन पर रोज़ जुर्माना लग रहा था। कई की उम्र पूरी हो गई थी और उन पर चालान बाकी थे। सरकार को इन ड्राइवरों को माफ़ कर देना चाहिए और उन्हें इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने की इजाज़त देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ऐसा करती है, तो लास्ट-माइल कनेक्टिविटी मज़बूत होगी, प्रदूषण कम होगा और छह हज़ार लोगों को रोज़गार भी मिलेगा। |