हवाला से क्रिप्टो तक पाकिस्तान में अवैध लेन-देन का वर्चस्व। (फाइल फोटो)
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान के हुक्मरान अय्याशियों, तीन तिकड़मों और दूसरे देशों को परेशान करने में इस कदर डूबे हुए हैं कि उसे अपने तबाह होते देश और बदहाल होते नागरिकों के बारे में सोचने की फुरसत ही नहीं है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
नेताओं और अधिकारियों ने पूरी ताकत अपने आकाओं को खुश करने में लगा रखी है, जिससे आइएमएफ जैसी संस्थाएं, जिनकी रिपोर्ट में पाकिस्तान की बदहाली की लंबी चौड़ी दास्तान दर्ज है, वे भी इस देश को दिल खोलकर कर्ज बांट रही हैं।
पाकिस्तान की जनता भी है परेशान
आम नागरिकों ने भी समझ लिया है कि हाय तौबा मचाने का कोई फायदा नहीं है। इसका नतीजा है कि पाकिस्तान में लेन-देन का अनौपचारिक तरीका धड़ल्ले से फल-फूल रहा है। पाकिस्तान के अखबार \“डेली टाइम्स\“ की ताजा रिपोर्ट के अनुसार हवाला नेटवर्क, क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन, फर्जी आइटी इनवायस और बेनामी संपत्ति निवेश के जरिए अरबों डालर औपचारिक व्यवस्था से बाहर जा रहे हैं।
रिपोर्ट में वित्तीय विशेषज्ञ जवाद सलीम ने लिखा है कि अघोषित लेन-देन इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि कोई भी औपचारिक सुधार उसे पकड़ नहीं पा रहा। उनका कहना है कि लोग गैरकानूनी रास्तों की ओर शौक से नहीं जा रहे, बल्कि इसलिए जा रहे हैं क्योंकि औपचारिक प्रणाली धीमी, कठोर और अनिश्चित हो चुकी है।
क्यों हावी हुई अवैध अर्थव्यवस्था?
रिपोर्ट में बताया गया कि एक निर्यातक, जिसे बैंकिंग चैनल से भुगतान पाने में तीन से पांच दिन लगते हैं और कई तरह के टैक्स और एफबीआर (फेडरल बोर्ड आफ रेवेन्यू) की जांच का सामना करना पड़ता है, वह स्वाभाविक रूप से मिनटों में भुगतान कराने वाले हवाला डीलर को तरजीह देता है। इसी तरह साफ्टवेयर फ्रीलांसर जटिल दस्तावेजी प्रक्रियाओं से बचने के लिए टेलीग्राम या अन्य प्लेटफार्म पर क्रिप्टो वालेट का उपयोग कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, व्हाट्सएप, एन्कि्रप्टेड चैट और आटोमेटेड बाट्स के जरिए \“रियल टाइम रेट\“ साझा किए जाते हैं। दुबई, मलेशिया, बांग्लादेश और तुर्किये के रास्ते सीमा पार सेटलमेंट हो रहे हैं। वीपीएन की मदद से लोग यूएसडीटी जैसी स्टेबलक्वाइन (क्रिप्टो) खरीदकर विदेशी खातों में जमा कर रहे हैं।
अरबों डालर का सालाना नुकसान
\“ग्लोबल फाइनेंशियल इंटीग्रिटी\“ के आकलन के मुताबिक, इन गतिविधियों से पाकिस्तान को हर साल अरबों डालर का नुकसान हो रहा है। आइएमएफ का अनुमान है कि टैक्स नुकसान जीडीपी के छह प्रतिशत से अधिक है, जो देश के वार्षिक रक्षा बजट से भी ज्यादा है।रिपोर्ट ने चेतावनी दी कि जब पूंजी बैंकों से बाहर रहती है, तो जमा घटते हैं, निजी क्षेत्र को कर्ज कम मिलता है और सरकार को अधिक उधारी करनी पड़ती है। ऐसे में पाकिस्तान में शैडो इकोनमी अब परछाईं नहीं रही, बल्कि वही वास्तविक व्यवस्था बनती जा रही है। |