अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नकली दवाओं का अवैध कारोबार तेजी से संगठित अपराध बनता जा रहा है। कम जोखिम और अधिक मुनाफे के कारण यह धंधा माफिया नेटवर्क के लिए आकर्षक बन गया है।
दिल्ली ड्रग कंट्रोल विभाग और दिल्ली पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में पिछले तीन वर्षों में 14 करोड़ रुपये से अधिक की नकली दवाएं पकड़ी गई हैं। इनमें कैंसर, हृदय रोग, डायबिटीज, किडनी और एंटीबायोटिक जैसी गंभीर बीमारियों की दवाएं शामिल हैं। इन दवाओं को नामी कंपनियों की तरह पैक कर बाजार में उतारा जाता है, जिससे मरीज आसानी से ठगे जाते हैं और उनकी जान जोखिम में पड़ जाती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2025 में जांच के दौरान 1,183 दवा सैंपल अमानक पाए गए, जिनमें से 400 पूरी तरह नकली थे। इसके बावजूद राजधानी में दवा जांच के लिए न तो पर्याप्त प्रयोगशालाएं हैं और न ही प्रशिक्षित स्टाफ। विशेषज्ञों का कहना है कि नकली दवाओं के मामलों में सजा की दर कम और कानूनी प्रक्रिया लंबी होने से अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। कई मामलों में आरोपी जमानत पर छूटकर फिर से इसी धंधे में लग जाते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि दवा आपूर्ति श्रृंखला की सख्त निगरानी, आधुनिक लैब, कड़े कानून और त्वरित सजा की व्यवस्था की जाए। साथ ही आम लोगों को भी जागरूक रहने की जरूरत है, क्योंकि नकली दवाओं का यह कारोबार सीधे जनस्वास्थ्य पर हमला है।
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