Tula Sankranti 2025: तुला संक्रांति पर शुक्ल और शिववास योग का महासंयोग, बरसेगी सूर्य देव की कृपा

deltin33 2025-10-8 00:09:28 views 1253
  Tula Sankranti 2025: तुला संक्रांति का धार्मिक महत्व





धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शनिवार 17 अक्टूबर को तुला संक्रांति है। यह पर्व सूर्य देव के तुला राशि में गोचर करने की तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान कर सूर्य देव की पूजा और साधना की जाती ह। सूर्य देव की पूजा करने से आरोग्य जीवन का वरदान मिलता है। साथ ही करियर संबंधी परेशानी दूर होती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  



ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि यानी तुला संक्रांति के दिन दुर्लभ शुक्ल और शिववास योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में सूर्य देव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल मिलेगा। आइए, तुला संक्रांति का सही तिथि एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-


सूर्य राशि परिवर्तन (Surya Gochar 2025)

आत्मा के कारक सूर्य देव शनिवार 17 अक्टूबर को तुला राशि में गोचर करेंगे। सूर्य देव के तुला राशि में गोचर करने की तिथि पर तुला संक्रांति मनाई जाएगी। इस राशि में सूर्य देव 15 नवंबर तक विराजमान रहेंगे। इसके अगले दिन सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे। आसान शब्दों में कहें तो 16 नवंबर को सूर्य देव वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे। इससे पहले सूर्य देव 24 अक्टूबर को स्वाति नक्षत्र में गोचर करेंगे। वहीं, 06 नवंबर को विशाखा नक्षत्र में उपस्थित रहेंगे।


तुला संक्रांति शुभ मुहूर्त (Tula Sankranti Shubh Muhurat)

तुला संक्रांति के दिन पुण्य काल सुबह 10 बजकर 05 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 43 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल दोपहर 12 बजे से लेकर दोपहर 03 बजकर 48 मिनट तक है। तुला संक्रांति के दिन पुण्य क्षण दोपहर 01 बजकर 54 मिनट पर है।
शुभ योग

ज्योतिषियों की मानें तो तुला संक्रांति के दिन शुक्ल योग का संयोग बन रहा है। शुक्ल योग का संयोग 18 अक्टूबर को देर रात 01 बजकर 49 मिनट तक है। वहीं, शिववास योग का संयोग दिभ भर है। इस दिन भगवान शिव सबसे पहले कैलाश पर रहेंगे। इसके बाद नंदी की सवारी करेंगे। इस दौरान भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक को सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी।


पंचांग



  • सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 23 मिनट पर
  • सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 49 मिनट पर
  • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 43 मिनट से 05 बजकर 33 मिनट तक
  • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजे से 01 बजकर मिनट से 02 बजकर 46 मिनट तक
  • गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 49 मिनट से 06 बजकर 14 बजे तक
  • निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक


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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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