Vedic Vivah: वैदिक विवाह का महत्व।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vedic Vivah: वैदिक विवाह हिंदू धर्म में विवाह संस्कार का सबसे पवित्र स्वरूप माना गया है। यह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो परिवारों और आत्माओं का एक ऐसा आध्यात्मिक बंधन है, जो सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा करता है। यह विवाह संस्कार ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के मंत्रों और विधियों के अनुसार होता है। आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं - विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वैदिक विवाह का महत्व (Vedic Vivah Significance)
वैदिक विवाह को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों का आधार माना गया है। इसे एक सामाजिक समझौता नहीं, बल्कि एक धार्मिक संस्कार माना जाता है, जिसमें अग्नि को साक्षी मानकर वचन लिए जाते हैं। इसके जरिए व्यक्ति अपने तीन ऋणों यानी देव ऋण, ऋषि ऋण, और पितृ ऋण को चुकाने की दिशा में पहला कदम उठाता है। ऐसा कहा जाता है कि इससे व्यक्ति को धर्म-कर्म करने वाली संतान मिलती, जो कुल और समाज का नाम रोशन करे।
वैदिक विवाह की प्रमुख रस्में (Vedic Vivah Rituals)
कन्यादान
कन्यादान पिता द्वारा अपनी पुत्री का हाथ जीवन भर के लिए वर के हाथों में देना। यह सबसे बड़ा दान माना जाता है। इससे पिता और वर दोनों को अक्षय पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
पाणिग्रहण
इसका मतलब है कि वर द्वारा वधू का हाथ पकड़ना। यह एक-दूसरे को स्वीकार करने और पूरे जीवन साथ रहने का प्रतीक है।
फेरे
यह वैदिक विवाह का सबसे महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें वर और वधू अग्नि के चारों ओर फेरे लेते हैं, जहां अग्नि देव साक्षी के रूप में होते हैं। हर फेरे के साथ एक वचन लिए जाते हैं, जो जीवन को दिशा देता है।
लाजाहोम
इस रस्म में वधू के भाई द्वारा वधू के हाथों में धान का लावा डाला जाता है, जिससे वधू और वर मिलकर अग्नि में आहुति देते हैं। यह समृद्धि और आरोग्य की कामना का प्रतीक है।
शिलारोहण
इस रस्म में वधू एक शिला (पत्थर) पर पैर रखती है। यह स्थिरता और दृढ़ता का प्रतीक है।
वैदिक विवाह का प्रचलन
आज के दौर में भी वैदिक विवाह का प्रचलन बढ़ रहा है। यह हमें सिखाता है कि विवाह केवल प्रेम का बंधन नहीं, बल्कि कर्तव्य, त्याग और समर्पण का भी एक पवित्र रास्ता है, जो वैदिक मंत्रों के जरिए पति-पत्नी के जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। साथ ही नए जीवन की शुरुआत को शुभता से शुरू करता है।
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